बौद्ध महातीर्थ | Bauddh Mahatirth

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Bauddh Mahatirth by श्री मदनमोहन नागर - Shri Madan Mohan Nagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बद्धगया 9 बिहार प्रदेश में गया रेलवे स्टेशन से ७ मील की दूरी पर बौद्धों का सर्वेश्रेप्ठ तीर्थ-स्थान बुद्धगया श्रथवा वोध-गया स्थित है । प्रत्येक बौद्धन्यात्री अपनी धर्मे-यात्रा इसी स्थान से ग्रारम्भ करता ह, क्योकि भगवान्‌ तथागत यहीं बोधि-वुक्ष के नीचे “सम्मा सम्बुद्ध' हृए थे । भगवान वुद्ध के जान प्राप्त करने कं पूरवे तक यह्‌ स्थान उरूवेल अथवा उरूबेला के नाम से प्रसिद्ध था, परन्तु बाद में यह बोधिमंडप के नाम से प्रसिद्ध हुआ | विद्व के महान्‌ धर्म-प्रणेता के ज्ञान-प्राप्ति का स्थान होने के कारण बोध-गया आज केवल वौद्धों काही नहीं ग्रपितु विङ्व कं सभी पुरातत्व- वेत्ताओं इतिहासन्नों एवं विद्वानों की यात्रा का भी स्थान बन गया है । गया विहार प्रदेश में पूर्वी-रेलवे का प्रमुख स्टेशन है। यह कलकत्ते से २६२ मील , पटना से ५६ मील, तथा बनारस से १४० मील की दूरी परदे, गया स्टेशन से उतर कर यात्री किसी भी सवारी द्वारा अथवा पैदल ही निरंजना नदी के किनारे-किनारे पक्की सड़क से चल कर बुद्ध मन्दिर सरलतापूर्वक पहुंच सकते हैं । यहां उनके ठहरने के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं सुलभ हैं। वे मुख्य रूप से दो स्थानों , एक महावोध-सभा द्वारा निर्मित विश्वाम-गृह तथा दूसरा श्री युगल किशोर নিভলা द्वारा बनवाये बिड़ला-धर्मशाला में ठहर सकते हें। इनके अतिरिक्त एक चीनी धर्मशाला तथा सरकारी डाक-बंगला भी है, जहां ठहरने के लिए स्थान सरलता से प्राप्त हो सकता है। भारतवर्ष के बौद्ध क्षेत्रों में बोधगया ही अकेला वह स्थान है जसका गौरव यवन एवं ब्रिटिश काल में भी क्षीण नहीं हुआ और बुद्ध जी के समय से आज तक अक्षुण्ण बना रहा। बौद्ध ग्रन्थों से ज्ञात होता है कि भगवान्‌ बुद्ध के पहले भी यह स्थान अपनी प्राकृतिक छवि और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध था और वहां अनेक सिद्ध योगी निवास करते थे। कौंडिज्य आदि ब्राह्मण उरूवेल नामक इस प्राचीन स्थान पर आकर पहले से ही यह जानकर निवास करने लगे थे कि इसी




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