कटी | Kati

Kati by पुष्कर शर्मा - Pushkar Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बर आई थी । उसके डडी न इतना ही कहां अच्छा किया कटी २ वर जब कटी न बताया वि स्टएन पर उसे छिदां करल कोई नहीं সাদা খা রী তই পাহর ভা । वे कटी से सुन चुके थे कि मिसेज सत्यद्ध़ और उनकी लड़की उस दिन घर आ गई थी। उहनेि निष्फप निकाला कि दम्पति मे भगडा हुआ है। कटी शायद कारण रही हो । मिसेज सदये द्र की मलत फहूमी के लिय कमरेम काषी प्रमाणा रहै हाग। मि सबसेना ने भन ही मन एक निखय किया । मिते सत्येद्र से मिलने का और गलत फ्हमी दूर रने ढा । তাল বশী से सत्वेद्र की काठी जा पता और टर्विफान नवर* मालूम क्या | वितु वहा पच तो राठी बद मिली । आस पास पूछ ताछ करनं पर श्रौर फिर टपिपान नदुरेकश्नी में उसके ग्ाफ्सि छा पता वगा । श्राफित्ि यट नही उना অনার্নি भिसेज मर्ये काटी के अलावा और कहाँ हा सती हैं। मि सक्‍सत। श्रसपन হান लौट। कटी समभ गई 1 ह फकी को झफ्सास रहा वि बटी पहुत दर जा रही है। उनस ता वह तुरत ही ह| गई थी । क्लफत्ता प्रस्यान व॑ दितर ता वह करके गते लगयर फूट पड़ी। कटी भी रात थगी । ट्रेन की बविदकीम वहं पमी का हिजता हुआ रमाल देसती रही भौर फिर । षके




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