पद्माकर कवि | Padmakar Kavi

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Padmakar Kavi by शुकदेव दुबे - Shukdev Dube

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रीतिकालीन परिस्थिति राजनीतिक रीतिकाल ( संवत्‌ १५००-१६०० ) के आरम्भ में विज्ञास एवं वैभव की प्रतिमूति मुगल-सम्राठ शाहजहाँ शासक था जिसके समय में राज्य का विस्तार भी तीत्र गति से हुआ और पतन के लक्षण भी दृष्टिगोचर होने लगे ये। उसके शासन- काल मेँ मुगल-साग्राञ्य की नींव अकबर के समय की तरह सुदृढ़ नहीं रह पायी । कई प्रदेशों मे असन्तोष फैला हुआ था । भाई-माई में कगड़ा था और इसी कारण उसके पुत्रों में उत्तरा धिकार की लड़ाइयाँ हुई तथा ओरंगजेव को अपनी कठोरता, र नीति एवं क्ररता के कारण सफलता प्राप्त हुई। औरंगजेब ने मन्दिरों को तोड़ने, धर्म-परिवतेन कराने एवं तीथ-स्थानों को अ्रष्ट करने में अपनी सारी शक्ति लगा दी। सम्राद की इस नीति के फलस्वरूप लोगों में संगठन का भावं जागा | उनमें अराज़कता फैल गई ओर देश के अधिकांश भाग में विद्रोह की आग भड़क उठी । गुरु गोविन्द सिह तथा वन्दा बैरागी के नेतृत्व में सिखों ने मुगल-साम्राज्य को हिला दिया। जाटों ने अपनी स्वतंत्रता के लिए इनसे युद्ध पर युद्ध किये तथा राजपूत राजाओं ने भी इनके विरुद्ध विद्रोह का रूण्डा खड़ा कर दिया। केन्द्र से दूरस्थ शासकों एवं सूचेदारों ने अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी । घामिक असहिष्णुता और कह्टरता के कारण औरंगजेब को जीवन भर चेन नदी दी भिला। उसके अयोग्य एवं निकम्मे उत्तराधिकारियों ने साम्राज्य का




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