हिंदी के आधुनिक पौराणिक महाकाव्य | Hindi Ke Aadhuni Poiranik Maha Kavya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
446
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(যা)
हृष्टिकोश का विकास । रश्मिरयो--उद्देश्य সী सदेश, भ्राध्या-
त्मिक मायताएं-ईचविषयक धारणा और हृष्ण, नियति, भाग्य,
धम श्रादि का विवेचन । विर-तन जीवन~मूल्या कौ प्रतिष्ठा-दान,
तप, सत्य, मत्री और भम कौ महत्ता, युद को समस्या भोर समा-
घान उभ्मिला सजन प्रो रणा श्रौर उद्देश्य, श्राय सस्कृति के भ्रादर्णो
की प्रतिष्टा -सत्प, तप, यज्ञ, नारी की महत्ता, सस्कारो का महत्व,
बर्गाश्रम-व्यवस्था, भथवाद का खड़न श्रात्मदाद भे प्रास्या भोर
विर+व-युत्व माव युगीन चेतना कै स्व्, वादात्मक प्रभाव--
गाघावाद रोमासवाद, स्वच्छृदतावाद हालावाद भादि 1 एफसव्य-
सृजन प्र रणा और महत ग्रुरुमवित का भयतम झादश, पुरुषाथ-
सिद्धि मानवतावादी जीवनादयों की प्रतिष्ठा ॥
पष्ठ अध्याय
महाकाध्य तत्त्व का विकास पृष्ठ ३९३-४१८
भूमिका-- महाकाव्य-तत्त्वो के विकास का स्वरूप और मूल्यांकन 1
क्यातत्त्वविकास कय स्वरूप भौर विशेषताएं, भार्यान तत्व वा
द्वाप्त क्यानक के प्रस्तीकरण एवं सयोजन-विधि की नवीनता
मौलिक प्रसगोदूभावनाए , क्याप्रसगो की भलौ किक्ता का परिष्कार
कथानक की महाकाब्योचित गरिमा का प्रश्न और कथाविधान की
उपलब्धिया । धरित्र तत््व--नाथ्क सबधी हृष्टिकोण में ऋति-
कारी परिवतन नायकत्व के लिये सदृवीय धीरोदात्त या
पुरूुषपात्र झावश्यक नहीं चरित्र-विश्लेषश-पद्धति के परिवर्तित
भाधारमान-पौराशिक पात्रो का युगानुरूप चित्रण, चित्रण-पद्धति
मे यायवादी, मनोवननिक एव मानवतावादी दृष्टिकोण का
विकास महत जीवनादयोँ से सम्पन्न चरित्रो की प्रतिष्ठा, उपेक्षित
पात्रों का चरिवोदार, नारी निरूपण की विशेष प्रवत्ति, चरित्र
तत्व के विकास का स्वस्प भौर उपलब्धिया। रसयोजना तथा
हित्प तत्त्व-प्र तरग पक्ष वी समृद्धि-रसात्मक्ता, म्र मौर विषयक
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