पाश्चात्य समीक्षा-दर्शन | Paschatya Samiksha-Darshan

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Paschatya Samiksha-Darshan by जगदीशचन्द्र जैन - Jagdishchandra Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-सूची पहला खड (१ ) यूनानी समीक्षा १-५५ प्लेटो का पूर्वेकालीनत युग--( ८ वी शताब्दी ई० पु० ) प्राचीन सम्यता का केंद्र युतान जिनासावृत्ति-ववतृत्वकला की मुख्यता- यूनान के सोफिस्ट-गौगिमस ( ४८३ ३७६ई०पू० )--इसोक्रैतीस ( ४३६ ३ ८६० पू० )-प्राचीन समीखाशास्त में बवनुत्वकला-काव्य-रचना में दवी प्रेग्णा-होमर (८ वीं शताब्दी ई० पू०)--द्ेस्िओद (८ वी शताब्दी ई०पू )- गिडार (५१८ ४३८ ई०पू०)-गोगिबस--अरिस्तोफनोस (४५० ३८५ई०प०)। अरिस्तोफनीस के माठक। १ १४ प्लेटो (४२७-३४७ ई०पू०) दी प्रेरणा से आविभू त कविता-कविता पर पहला आाक्षेप-क्विता पर दूसरा आक्षेप-कविता अनुकरण का अनुकरण--श्रेष्ठ कविता का विरोधी नही। का-य का वर्गीकरण-द्रैजेडी और कामेडो-काब्य का उद्दे श्य- कक्‍्तृत्वकला का विश्ेषण-आलोंचक के लक्षण-प्छेटो की देन॥ १४ २५ (.अरिस्टोटल ( ३८४-३२३ ई० पृ० ) “77 पारवात्य काव्यशास्य কা সি को कविता सत्य से दूर- अरिस्टोटछ को नयो व्याख्या- अनुकरण” का अथ-कविता और इतिहास- सौदय कौ प्रतिष्ठा-कान्य का प्रयोजन-कलायो का वर्गीकरण-नाटक भौर उसके भेद-द्रं जेडो को उत्पत्ति-द्ंजेडे का जमदाता एस्किछस (५२५ ४५६ ई०पू०)- सोफीवलीस ( ४९६ ८०६ ई० पू ० )-यूरिपाइडिस (४८० ४०६ ई०१०)-ट्रेजेडी को परिभाषा-द्र जेडी की विशेषता-द्रैँजेडो में कायतत्व- ट्रजेझे के तत्व-कथानक-चरित्रचित्रण-पदवि-यास-विचारतर्ब-दृश्यप्रदर्शव- संगात तत््व-कॉमेडी की उत्पत्ति-कॉमेडी नाटककार-कामेडी में हीनतर चित्रण-महावाब्य-महाकाय और ट्रजेडो-अरिस्टोटल की काव्यशात्त को देन । २६ ४७ ৬পার্দাআাহনন (-२१३-२७३ ई० ) तत्कालीन साहित्यकारों वो शला-काव्य की आत्मा उदाततता-वया औटठात्य कला है ?-औदात्य के स्रोत-साहित्य को अवनति-कवि का व्याक्तित्व साहित्य वो उल्ृष्टता का मानदण्ड-ल्ाजाइनस एक वैचारिक समीक्षक। নি । ৪৫ ২৯




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