दर्द बे - अंदाज़ | Dard Be Andaz

Dard Be Andaz by सुरेन्द्र चतुर्वेदी - Surendra Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गृजूल-? बैठ कर लोग गुछ वकीलों में, उम्र को जी गए दलोलों में । उस मुमाफिर ने प्यास से इरकर, होठ दफना दिए हैं टीलों में । बहू कमल गआांदमी के प्रन्दर चा, हम जिसे दू'द्ते थे कीलो में। या खूदा किस जगह पे मस्जिद है, স্সাহমী হক नहीं है मीली में। टाग कर लोग उस मसोहा को, जाने कया दूदने है कीलों में । তই ব-অহাহা/!5




User Reviews

  • Dev Das

    at 2022-05-08 18:44:58
    Rated : 6.5 out of 10 stars.
    Ebook download q nahi hota hai
  • rakesh jain

    at 2020-12-04 12:10:44
    Rated : 6.5 out of 10 stars.
    THE CATEGORY OF THIS BOOK SHOULD BE "GAZALS'
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