यूरोपीय वामपंथ के सौ वर्ष | Yuropiya Vampanth Ke Sau Varsh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Yuropiya Vampanth Ke Sau Varsh by लेस्ली डर्फलर - Leslie Derfler

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about लेस्ली डर्फलर - Leslie Derfler

Add Infomation AboutLeslie Derfler

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
विरासत 5 सत्ता के क्षेत्रों मं गहरी चिंता का उदय हुआ । सभी उम्रवादी गूटो ने लोकतत्न का समथन क्या तथा उदारवादियो के साथ जुडने की कोशिश की क्रतु अल्फाजे जा मार्तीन, जिउसेप्पी मात्जानी ( मेजिनी ) तथा केमिली कैवूर सरीखे अधिकाश उदारवादियो ने समाजवादियों के साथ सहकार से इकार कर दिया । 1844 के साइलीसियाई बुनकर विद्रोह पीटरत्‌ नरमेध तथा चारिस्टदगो ने गहरे बग द्वेष कै अस्तित्व को उभारकर सामने ला दिया । एभिल्सने भदिष्य- वाणी की कि इग्लेंड और फ्रास मे उसी वपष काति हो जाएगी! फ़ासीसी नौर जमन सरकारो ने कम्यूनिस्ट आाकमण। के खतरे के बारे म॑ विता प्रकट की । यद्यपि भूख से अभिशप्त' पाचर्वें दशक म॑ कम्यूनिज्म कां खतरा काफी असली प्रतीत होता था तथापि कालातर म यह सिद्ध हो गया कि इस खतर का बखान बढा चढाकर किया जा रहा है! कम्यूनिस्ट मनीफेस्टो माक्म ने उग्रवादी चितन के विविध सूतां कौ एकं युक्तिसगत दशनमे सजौ दिया । 1848 के मं नीफस्टौ (षोपणापत्र) मे লিন ননী उस जमाने का एकमात्र क, तिकारी वग वताया गया तथा बुजूआ (4नलिप्सु) वग के विरुद्ध इस कतिकारी वग कै सगटित भौर सघन सघप की विविध अवस्थाओ का वणन किया गया । उसमे यह भी कहा गया कि शासक वर्गो की विविध श्रेणियों से च्युत लोग श्रमिक वग मे दासिल हो जाएगे तथा प्‌्जीवाद के अत्तगत मुनाफे की मात्रा अधिकतम करने के लिए और भी व्यापक केद्रीकेरण होगा जिसका विरोध अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किया जाएगा। इस घोषणापत्र मे श्रमिकों को आइवासन दिया गया कि नैतत विजय उनकी ही होगी 1 माक्म ने कम्यूनिस्ट अथवा समान- वादी हितो तथा सबहारा वग के हितो के वीच तद्रूपता कौ कल्पना कौ बार-बार दीहराया । (संद्धात्तिक दुष्टिसे माक्मन समाजवाद कौ सक्ातिकालीन व्यवस्था माना तथा वम्यू निज्म (साम्यवाद) की व्यास्या विस्तार से नही की, तथापि वे क्म्यूनिस्ट लीग नामक जिस संगठन से उस समय जुडे थे उसके नाम मे कम्पू- निस्ट शब्द का ही प्रयाग विया गया था ।) उस समय कम्यूनिस्टो का न कोई दल था, न सप्रदाय तथापि वे अपने आपकी सवृहारा वग का आत्मचेता हरावल दस्ता (वनगाड ) मानत थे। दूसरे समूह श्रमिक वग के समथन का दावा करते थे और वे राष्ट्रीयवा वी चिंता विए विना ससार के सपूण सवहारा वगग वे' समान हितो के साथ एकाकार होने और विशिष्ट मुद्दा की प्‌ जीवाद के विम्द्ध बहत्तर और सतत मधप के सदम म देखन वी चेप्टा करत थ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now