हिंदी पत्रकारिता : राष्ट्रीय नव उदबोधन | Hindi Patrakarita : Rashtriya Nav Udbodhan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मात मे परेत्र कौ स्थान १५ सन्‌ १८१८ पक भारत मे जिते प निकलते थे, थे सदर अंग्रेजी आपा में होते थे । इच्त वर्ष स्वदेशी भाषा में पहला पत्र प्रकाशित हुआ, जिसके सम्पादक योर प्रकाशक अंग्रेज़ थे । यह मासिक-पत्च सीरमपुर के वपि দিহানহ্যী ঈ निकाला था । इस पत्न का नाम “বিদ্বান ঘা) पदरियों ते जो भी कार्य इस देश मे किए, चाहे वे शिक्षा के क्षेत्र मे সবক হল राय पिया सम्पादक गंगायर भटानायं केद्वारा निकाला गया । ये दोनों राजा राममोहन राय के भित्ष थे, जो उनके विचारों सै प्रभावित थे राजा राप्मोहन राय उस समय शिक्षित्‌ वंगालियों के नेता दे 1४ छैगमग सन्‌ (८३७८ में दो्रतिभाथो चेन्न सिल्क बे किम और राजा राममोहन राय ने भारतीय पत्रकारिता के क्षेत्र मे पदार्षण क्रिया, पहला दुसरे प्र झासन करने बला तथा कठोर द्वेदय था तो इसरा धेयेवान, दढ तया कोमल द्व्य भा। दीनौ में पत्रकारिता को स्वतेन्ते कराने का ওই बनाया ।২ মিচ वेक्रिषम ने अंग्रेज़ी माषा में 'कलकटा जनरल” नाम का आदर ধন तरिकाठा । यदे पत्र स्वतन्त्र एवं उदार विधारे को प्रकाशित करता था । इससे अतिक्रियवारी लोग चौक पड़े और सरकार सजग क्‌ सरकारी प्रतिक्रियाशीर अंग्रेजों से कहा कि वै पन्न निकाल । अतः १८२१ में 'जाव- चुद! नाम का पत्र उन्होंने निक्राछा, जी परकारी पत्र माना जाता था |९ ४. पम्विश्ाप्रताद अाजपेयो ১ ঘুষ उद्धृत, पृ० ३१४ भ भैर नटशनन बे उद्धृत, पु १८ ६ प्रम्दिसाप्रसाद बानप्रेवी ११ रदत, হুক ২৯ 9. वही, पृ० ३३




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