प्राचीन हस्तलिखित पोथियो का विवरण चौथा खण्ड | Prachin Hastlikhit Pothiyo Ka Vivaran Khand-iv

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ड दाम 1 र. का--ध्रमिषद्‌ 1 छि> का०--१६३९ वि? 1 पत्र-सं*-& । दप्रा--ए। श्रार--०६१.८४, | लछिपि--नागरी 1 १६६--ती नो নানী ॥ দিলারা তাল | ভিত र> का०->*। पत्र-सं०--१९ । दशा--हदर्ण । क्षा०--#*८२०३८६९३” । छिपि--नागरों । १६७--गादी विलास। प्ंन्‍--शिवनारायशदास | छिब--ू। ৭ জ্চাত 7 জিও कॉ४--३६ । पत्र-स:---४ । दगा--यर्ण1 जा०---७*१०२”४६*३”। छिपि--नागरी। १६८ शब्द | ग्रंल्‍--शिवनारायण दास । छिप---€ 1 र० का 1 ভিত কাত) पग्न-सं०--२ ३ । दुवा पूर्णं 1 भा०--७ १ १,०४८६१२११ 1 हिपि-नायरो 1 १६६--संत सरन | ग्ं२--शिवनारायगदास॥ लि 1 र का०-भ। लि” का>- >< । प्र सं०--२ 1 द्गा--खपिदत। आ ० --७,६१८६१। किपि--नागरी 1 १७५०-संत सूंदर । प्रं०--शिवनारायगदास 1 छि०--४ { र काए--४ { लि० का०--१५०॥ पक्र-सं०--४०। दुशा-शूर्ण। आ०--७*१२९७६९३०४ | किपि-- मागदी। १७१--(क) सत सरन, (घ) संन विटास, (ग) संन सुंदर । भ°--भिवनारामण दास 1 लिए. 1 रञ का०--*। टिः कार--१८११ वि०1 पग्र-घं०-१३४। दुभा--यगिष्व । जा०-- ८६००८६११! टिपि-- नागरी 1 $७२--दरियासागर। प्रं०--दरियादाव। छि०--ठाकुरदास। र० का०--)६। छि० फा०--१६ ०३ वि०। प्रश्न-स०--८४॥ दुशा--खण्िदत | झ्वा०--८० ८ ६९४ ०॥। टिपि--नागरी 1 ४35३-बानदीपक | प्रं-दरियादास। छिब्--वोधिदास। र० का०--)८। छिल का०-- ६६६ वि०। प-सं०--१४६ | दशा--पूर्ण | श्रा०--६*ए” ৮ ইহ ভিথ্ি লামতী। १७४--ज्षानदी प 5 । প০-হুতিনাহ্াল ॥ ভি-_ক্তিযামহাল । ₹* জ্চাণল_-১৫1 ভি का २-- २€। पक-सं २+--१३४। दगा--पूर्ण 1 आा०--€*४३८६” । छिदि--तागरी । १७५ -प्रेम मुछा--प्रं०--दरियादास । छिस--> । र० का०--2९1 छि० का०--१२८। पद्म २८1 दुग--खपिदन । भा०--८” ३८ ६*८६” । लिपि--नागरी 1 १७६ - प्रेममूडा--प्रं२--दरियादास | छि०--३6 ॥ र० कार--> । छि> का०--१९। चतद्र-पं०--रे | दशा--पणिदत | क्षा०--०” ८ ४९४० | छिपि--नागरी । १६७७--आआानमूछा--एँ०--दरिपादास | छि०-- २६1 २० का२--६॥ लि० कौ०--१)८। पक््स०--३१०। दशा--लण्िदित | श्रा०--८ ) ६*८ ० | छिपि--नागरी ६ १--छ्िउनाएरुणी मंत्र के प्रवर्तह, गाजीपुर লিকা-নিবাদী, ধাঁ (७९२--१८६१ ई० दे छपमय दक्तमान; नायरी-प्रचारिती समा (छाशी) को मी इनइ रचना खोज में मिश्तोंदे। दै*--बऔोन 1२ (९०९६-१६, भर सं* २६४ ५०, হী সৎ टोन भौर 1]




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