श्रीअमृत-स्तवनावली | Shriamrit-stavnavali
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
232
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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वरते आनन्द पूर, उर विलसित सुखवासा ।
राजग महाराज, चौराश्च किया चौमापा ॥ ४४ ॥
चोमासा उतरे थके, मुनिवर कीघ षिदार ।
युक्ते तीरथ यातरा, करते मत्रि उपकार ॥ ४५॥
मगशी पारस नाथका, नयर उजेणी घाम |
यही गाँव बन्दे बडी, पारस तीरथ ठाम॥ ४६ ॥
असुकरमे मान्या पिचिरता, परी कडोद मुकाम ।
सष अरज सुणी मुनि करे, चारु माष यकाम ॥ ४७॥
धम मण्डल के धौरी, दुमति की सग छोरी,
सुमता से प्रीति जोरी, ध्याये अगिनासी है।
सयम सलील धर, तप यार मेद् करे)
कटोद् निवासी बरे, साठ पिचियामी ६ ॥
आराधित जिनदेव, करे उपदेश मेव,
भक्तिमाय गुरुदेव, सेयम उलाशी है ।
सथ चित चाद करे, आनन्द उच्छर भर,
मिष्या पुज्ञ को दर, जिनमत प्यासी है ॥ ४८ ॥
पाती पूनम फे पटी, चरि पिचरे मुनि जेह |
दर्शपिषासु आतमा, यन््दे भरियण तेह ॥ ४९ ॥
ঘঘির ঘরলনা योग से, देश नयर पुर गाम।
मोदनमेदे सादरा, गुर देव फा पाम ॥ ५० ॥
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