श्रमण भगवान महावीर | Sharman Bhagwan Mahaveer

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भा २७ वधं ( वि० पू० ४८६-४८५ )--मिथिला से वैशाली के निकट होकर श्रावस्ती की तरफ विहार, वीच में वेहास ( हृछ् ) वेहड राज- कुमारों की दीछ्षायें | भ्रावस्‍्ती के उद्यान में गोशालक संखलिपुत्र का उपद्रव । ज्ञमालि का निह॒वत्व। मेंदियप्राम के साल्कोप्ठक चैत्य मेँ मगवान्‌ की सख्त वीमारी रौर रेवती के ओपथ से उसकी शान्ति । वर्षोवास मिथिला में । रद्वा वपं (वि पू ४८५-४८४ }--कोशल-पाघ्वाठ की तरफ विहार 1 धावस्ती, अष्टिच्छत्रा, हप्तिनापुर, मोकानगरी, आदि नगर म समवसरण । श्रावस्ती मे गौतम ओर केशीकुमार श्रमण की धर्म- चर्चा । हस्तिनापुर में शिवराजर्पि, पुट्ठिछ आदि की दीक्षायें | वर्षावास वाणिज्यप्रास में | .> र्वा वपं ( पि° पू ४८४४८ )--वर्षाऋतु के बाद राजगृह कौ तरफ व्रिहार | হালযৃহ में आजीवर्कों के प्रश्न। अनेक मुनियों के अनशन । वर्षोषास राजगृह में । ३० वाँ वर्ष ( वि० पू० ४८३-४८२ )--चम्पा की तरफ प्रयाण । कामदेव फे पये की प्रसा । पृष्ठचम्पा में साठ मद्दासाल की दीक्षायें । द्दाणं देया कौ तरफ विर । दृशार्णभद्र राजा की दीक्षा । विदेह फी तेरफ गमन । चाणिज्यप्राम में सोमिल ब्राह्मण का निम्रन्थप्रवचन- सौकार | वर्षावास वाणिज्यप्राम सें द्वा वपं (वि पू* ४८२-४८१ }--कोशट-पाचाठ षी तरफ विहार 1 साकेत, श्रावस्ती, फाम्पिल्य आदि मेँ समवसरण । काम्पिल्यपुर জম্ম परिधराजफ का निररन्यप्रबचन-स्वीकार । वपौयासयैशारीमे 1 इरवयाँ वर्ष ( वि० पू० ४८१-४८० )--विदेद्द, फोशछ, फाश्ी फे प्रदेशों में बिदार। वाणिज्यप्राम में गांगेय के प्रशोच्तर । वर्षोचास वैशाली में । ३१ याँ यर्प ( वि* पू७ ४८०-४७६ )--शीतकाछ में मगध कौ तरफ विद्यार। राजगृद में समवस्तरण। चम्पा फो विद्ार । दर्मियान ए४- पम्प में पिठर, गागछि झादि छी दीक्षायें । यर्पावास रामगृद में । र४याँ पं ( दि० पू« ४३६-४७८ )--गुणशीछ चैत्य में फाठोदायी




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