हिन्दी कविता में युगान्तर | Hindi Kavita Mein Yugaantar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Hindi Kavita Mein Yugaantar  by सुधीन्द्र - Sudhindra

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सुधीन्द्र - Sudhindra

Add Infomation AboutSudhindra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( १६ ) ६. कला-समीच्ता (३६६-५२० अन्तिम एषठ) १--रूप और रस द क ; काव्य के रूप : (३१६६-४० १) -ख : साषा-विन्यास : (8४०२-४७ १७) विकास की सीमा ४०२, भाषा का आदुर्श ४०३. ग: छुन्द-विन्यास : ४१८ : छुन्दों का पुनरुत्थान ४१८, हिन्दी छुन्द पर शास्त्रीय दृष्टि ४१८, लय ओर अन्त्यानुस ४२०, स्वच्छुन्द प्रयोग ४२४, संस्कृत का 'संस्कार! ४२७, उदू का प्रभाव ४२८, अँग्रज़्ो का प्रभाव ४३०, बंगला का प्रभावे ४३३, मात्रावृत्त ४३९, गीत-विन्यास ४३८, गीत्-परमरुपरा ४३६, पदगीत-भजन*» गीत ४३६, गजल गीत ४४२, प्रगीत ४४३,अैग्नेजी गीत-रूप ४९०, मुक्त छुन्द ४९१ रसानुकूल छुन्दु-प्रयोग ४९२. घ: रस और अलड्भार : ४९४, शास्त्र के आलोक में ४१४, रस ४६०,रूप-चित्रण ४६०, भाव-चित्रण ४६३, वियोग-पक्ष ४६२, शोक मव : करणं रष ४६६, शोकगीत ४६७, उत्ताह्‌-भाव : वीर रख ४६८, क्रोधभाव : सोदर ४७०, बात्सल्यभाव ४७०, मयमाव ४७१, हास्य-व्यंग्य-विद्र प॒ ४७२ वीभत्स : शान्त ४७२, अलंकार ४७३, अनुप्रास ४७४.यमकं श्रौर श्लेष ४७७,प्रोक्तिन्प्रयोग ४७८, उपमा ४७६, रूपक ४८२, उस्प्रत्ता ४८३; सन्देह ४८३, अपन्हुति ४८७, उल्लेख ४८७, असंगति-अन्योक्ति ४८९, स्वभावोक्ति-विरोधाभास ४८७, २--कवि और काव्य प्राचीन परम्परा : श्रीधर पाठक ४८६, देवीप्रसाद पूर्ण! ४६३, सत्यनारायण कविरत्न ४६४, रामचन्द्र शुक्ल ४६६, जयशंकर प्रसाद” ४६७. आरती की धारा : श्रीधर पाठक ४१६, हरिओऔध और परिय-प्रवास ६०१, मैथिली शरण गुप्त और साकेतः ९०६; पूर्ण! ११२, शंकर! ६१२, 'सनेही : त्रिशूल”' ५१३, अन्य कवि ६१४, जयशंकर प्रसाद+९१६, “पक भारतीय आत्मा? ९१७, सूयकांत त्रिपाठी निराला ২৭৩, सुमित्रानन्दन पन्त ८१६, नवयुग की किरण ६२१.




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now