सफेद गुलाब | Safed Gulab

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Safed Gulab by शम्भुदयाल चतुर्वेदी - Shambhudayal Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२० 1 सफेद गुलाब के बाद चीन सतकं हो गया है। भ्रव वहु केवलं जुबानी जंग चला रहा है ।' 'क्या मतलब ?' 'मतलब, वे भोंपू पर हिन्दी में चिल्लाते हैं । मेजर ने चिल्लाकर बतलाया, हिन्दुस्तानी सिपाहियो, अपनो प्रतिक्रियाबादी पूजीपतियों की सरकार का तख्ता पलट दो, हिन्दुस्तान में लाल भणडा लहरा दो !' फिर ? किसी ने घबराकर पूछा । 'घबराने की क्‍या बात है ! हम लोग इधर से चीनी भाषा में जवाबी प्रचार करते हैं, मेजर ने फिर दोनों हाथ अपने मुँहश्यर लगाकर नकल बनाई, चीनी जवानो, तुम्हारी चाऊ-माऊ की सरकार हत्यारी हँ । उसने कैएटन और शंघाई में सांस्कृतिक क्रान्ति के नाम पर हजारो चौनियो को मौत के मूँह में फ्ोंक दिया है। उस हत्यारी सरकार को उलट दो और चीन में भ्रसली प्रजातंत्र की नींव रखो !' “क्या वे एेसा करगे ? राघे फिर बोले । 'करना-धरना तो न हमें कुछ हे, न उन्हं ।' मेजर हंस पडे, वैभी इस बात को समभते हैं और हम भी; मगर यही तो प्रचार-युद्ध कह्‌- लाता है ।' आजकल गाँव में एक अजीब साधू आया हैं। प्रचार की बात चलने पर तिनक्‌ ताऊ अपनी खरखराती आवाज़ को कुछ रहस्यमयी बना कर बोले, वह भी कुछ अश्रजीब-सी बातों का प्रचार करता है।* “क्या कहता ह ?' 'कहता है, भगवान्‌ ने किसी को अमीर या गरीब पैदा नहीं किया । कुछ लोग लूट के बल पर अमीर वन गए हैं। रुपया माया है, जिसने उन्हें भगवान्‌ से दर कर दिया हैं ।' यहाँ तक तो ठीक ही कहता है; आगे ?' 'कहता है, चीन में ग्रीबों ने अमीरों के हाथ से जायदादें छीन ली




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