जमसेदजी नसरवानजी ताता का जीवन चरित्र | Jamsedji Nasarvaanji Tata Ka Jeewan Charitra

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Jamsedji Nasarvaanji Tata Ka Jeewan Charitra by मन्नन द्विवेदी - Mannan Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जोवन चरित्त । (3 देशकी कारीगरीकी उन्नति चाहने वा्ोंकों समझ छेना चाहिये कि औद्योगिक उन्नतिक्के लिये सरवेजनजी ऐसे कार्य्यद्क्ष मैनेजर की उतनी ही आवश्यकता है जितनी ताताजी जैसे साहसी और दुरदृशी पूजी चालेकी। ताताके मस्तिष्कसे नित्य नये विचार निकलते थे और वेजनजी उनको कारय्य-रूपमें छाते थे । कारखाना खोल दिया गया और कपडे बनने छगे। लेकिन इनसे भी महत्वका काम था कपड़े बेचनेका प्रबंध । अगर जरः भी ढीछापन किया जाता तो विदेशी कारखानोंके मुका- बिलेमें कपड़े पड़े पड़े सह जाते या सस्ते दामोंपर निकलकर घाटेपर घादे छगाते हुए भारत मात कफतका काम देते | लेकिन परमात्माने ऐसे दो कर्मच्रीर उत्पक्ष कर दिये जो नित्य नये वस्त्रे माताका शकर करेगे, उसक्षे खाल निरूखदप्य वालकोंको भजन ओर ऊपङे देंगे; कयड खपकैे লিউ बाजारकी सलाश होने लगी | चतुर जोश अनुभवी হলে जगह अनह भेञ गये | यह सब होनेपर ताता महोदयने सालके भेजनेका भी दीक प्रबंध कर लिया। इस तरह खूब काम दुरुछ्त होजाने पर इफ्प्रेस मिलका काम ठीक चछने लगा । इसके बाद ताताजीने बड़े वड़े शहरोंमें घृूमघूम कर देला कि कारखानेके लिये कहांसे कौन सी नद बात सीखी जा सकती है। इसी बिचारसे आप जापान भी गये। वहांसे तरह तरहके चिचार लेकर आप अम्बई लौटे ।




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