मित्र बनाने की कला | Mitra Banane Ki Kala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
87
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१६ मित्र बनाने की कला
पहने, वह उसके बदंन पर फबती हो तथा जिस काम पर व ह
लगा हो, वह उसके अनुकूल हो ।
स्त्री-पुरुष दोनों ही समान रूप में हँसता हुआ चेहरा बनाए
रखने की आदत डाल सकते हैं । वे मुँह की रुखाई-भरी रेखाओं
ओर झुर्रियों को दया की आदत अपने में पैदा करके तथा
गुस्सा आने पर उसे रोककर मिटा सकते हैं ।
गिलवेल के बुद्धिमान, खुशदिलि, बूढ़े व्यक्ति लाडे बैडन
पावेल ने एक बार लिखा था, “साधारण जिन्दगी में कठिनाइयाँ
ओर निराशा पैदा होना स्वाभाविक चीज है । किन्तु यदि आप
इन पर मुर्रा सके यर अनिवार्य सममकर इन्द स्वीकार कर
सकं, तो शीघ्र ही ये खत्म हो जायँगी |” यह ढंग है जिसके
द्वारा हम एक हँसता हुआ सुखी चेहरा प्राप्त कर सकते है । लोग
हमारे बारे में जानना चाहेंगे, क्योंकि हमें देखकर वे प्रसन्नता
अनुभव करेंगे ।
यह कहना मूखेता की बात है कि आप इतने सममदार
नहीं कि लोगों को मित्र बना सके। यदि आप एक साधारण
सूम-बूक और समझ के आदमी हैं और आपमें कोई खराबी
नहीं, तो आपका यह कथन सर्वथा असम्भव है। ऊँचे गणित
के किसी विवाद में पड़ना मैं पसन्द नहीं करता | कोशिश करने
पर भी ऐसी किसी बहस में हिस्सा नहीं ले सकता | मुझे न तो
गणित विद्या का ज्ञान है और न इस दिशा में मेरी रुकान है ।
किन्तु इसका यह मतलब नहीं कि में समझदार नहीं। फिर भी
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