पश्चिमीय आचार विज्ञान का आलोचनात्मक अध्ययन | Pashchimiya Achar Vigyan Ka Alochnatmak Adhyyan

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Pashchimiya Achar Vigyan Ka Alochnatmak Adhyyan by ईश्वरचन्द्र शर्मा - Ishwarchandra Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(५) दसवा प्रध्याय-- २०४--२१६ मानबोप ध्रधिडाएों का स्वक्ष्प प्रधिकार की परिभाषा स्वामाविक प्शिकार मागरिक प्रषिकार तथा राज नीदिक प्रषिष्रार दपा उनकी म्पास्या जीवित रहने का पधिङार,स्वास्स्यका प्रधिकार स्श॒तन्त्रता का प्रधिकार, सम्पत्ति का प्रषिकार, भागीदारी का प्रभिकार, धिक्षा का प्रशिकार ठबा उनष्ी भ्यास्या ग्यारह॒वां प्रष्याय-- २१७--२३१ प्रागबोय कर्तष्पों का स्वरूप कर्तेष्य की परिभाषा तथा उसका विधान से सम्बल्प कत्य शी सापक्षता लीजन-सम्बापी क॒ठंस्य स्वतस्जता का सम्मात सम्पष्ति का सम्माभ सामा जिक ष्यवस्बा के प्रति सम्मान सर्प के प्रष्ि श्रम्मान प्रयति के प्रति सम्मान कर्म भ्पों का नैतिक महत्त्व सुरक्षा तथा प्रात्मानुमूत्ति सम्पत्ति-सम्बन्धी गिषषेप कर्तेब्प । वारह॒वां प्रध्याय-- र४०--२१५ नैतिक सद्गुण ঘানিক্ আদল কষী দুশতরা सदणुण के दो प्रकार के प्र्ष सदुगृष की सापेश्यवा चार मुक्य सदमुभ विधेक साहस संयम स्माय इतका परस्पर-सम्दन्ध सु म्भो द नैक्‌ महत्व स्पागहारिक सबगृण मैठिक सदमुस सदुगुण तथा स्यक्षितिश्य का विकास एव अरित्र का निर्माण मोझ्न की धारणा । तैरह॒बां प्रभ्याम-- २५६- २७१ इच्छा के प्रिद्धास्त तपा उतका सैतिक सहत्य इशड की प्राषश्मकता गिघान का महत्व विधानाश्मक स्पाय रुष्ड की धारणा दब्ड के सिद्धास्व निरोधारमक सिद्धान्त सुशारास्मक सिद्धास्त प्रतिष्ोशात्मक धिन उनकी ध्याक्ष्या तथा उनका महत्त्य युद्ध भौर नैतिकता । नौदहुवां प्रप्याय-- २७६--२९४ भ्यर्ति वपा समाज स्यक्ति हंपा समाज का सम्बन्ध सामूहिक मैतिकता तबा बैयक्तिक नैतिकसा बैयकितिक सैधिकता के विकास की छपाधियाँ प्राविकपरिस्यितियों राजनीतिक परिस्थितियां युंठ बैजाथिक उन्नति कक्षा भौर साहित्य स्पक्ति तबा समाज




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