नेहरु द्वय | Nehru Dway
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
104
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(ই)
ओर अब तक कुछ अंशों में बसा हुआं है। कई पीढ़यों बाद
गयाधर जी इस वंश में उत्पन्न हुए; थे प्रतिभा-लम्पन्न
पुरुष थे और कई साल तक दिल्ली के फोतबाल रहे। आपके
तीन पुत्र हुए--नंदछाल, वंशीधर, भोतीलाल । खन् १८३१ '
को फर्बरी में जब कि मोतोीछाल जी माता के गर्म में
ही थे, पं० गंगाधर जी फा स्वगंवास्त हो गया । उस
साय फोन जनता था कि पिता के आश्रय से वंचित यह
गर्भसथ पाछक ही एक दिन वंश की मर्यादा के उन्नति के
शिखर पर पहुँचा देगा तथा भारत का भार्य विधायक খন
कर अपना नाम श्रमर करेगा और अपने बाद भी भारत के। ही
नदीं सकार के अगगगाने वाले जवाहर को छोड़ जावेगा 1
पं० मोतीज्ञाल जी का जन्म ६ মই सन् १८६१ ईरुवी फे दिन
হি में हुआ । पण नन्द्राक जी ने स्मेहमय वृतचिचता के
साथ आपका पालम परपर किया । पारह वर्ष की अधस्था तक
आपकी प्रारस्मिक शिक्षा सुसछिम मकूतव
शिक्षा में हुईं। इसी काल में आपने फ़ारसी और
अरबी की झच्छी योग्यवा कर जी जिसने
धर्कालव फे दिनों में आपको अपरिग्रित सहायता दो। লন,
१४७३ में आप गवनगेंट दारैस्कुल कानपुर में भर्ती हुए और सम
१८७६ में इंट्रेल्स परीक्षा प्रथम थेणी में पास की । स्पोरसैंट्क
काछिज पयाग में आपने ददल शिक्षा पापी। अपने ग़ुर्ों फ्े
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