श्री सती चंदनबाला चरित्र | Shree Sati Chandanbala Charitra

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Shree Sati Chandanbala Charitra  by किशनलाल जैन - Kishanlal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ १३ ] | ख्याल मरवा कर मेरा पती राज दिनबाया। ` कृम्बरतं वतां क्‍या तेरे हाथ में आया ॥ अब जा अपने घर बेठ बिघन करवाया । मुझ पतित्रता नारी को आन सताया ॥ जवाव सेनापति का क्यों प्यारी ऐसी कड़वी बात बनाओ। पापी लम्पट क्यों नीच अभे दतलाओ्रो ॥ में खोदूं तुम पर जान मान मत लाओ। घुड़की दे दे कर प्यारी ना तरसाओं ॥ क्यों जले हुए पर प्यारी नमक लगांशो । अब चुपकी होकर मुझ से प्रीवत बढ़ाओ॥ जवाब रानी का ( बहर तवोल ) तूने अच्छा किया या बुरा ही किया । ये हमारे ही कमों ने बदला लिया ॥ कष्ट इतना जो लाकर के तूने दिया। जा चला जा शुकल अब दिखाना नहीं ॥ जवाब सेनापति का लाख कहती रहो अब स्या मांनू गा में । सर हथेली पे द है मरना उठानूगा में |




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