विज्ञान पत्रिका | Vigyan Patrika

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Vigyan Patrika by डॉ शिवगोपाल मिश्र - Dr. Shiv Gopal Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बंधी ड्रैगनफ्लाई को इस तरह उड़ा कर वह उलल्‍लसित हो रहा हे | किसी ड्रैगनफ्लाई को इस प्रकार जाल में फसाना आसान काम नहीं है क्योकि वह अत्यंत द्रुत गति से उडान भरने वाले शक्तिशाली, पंखदार कीटो में से एक हे जिनके उडने की गति 40 किमी प्रति घंटा तक मापी गई है। ऐसा अनुमान है कि ड्रैगनफ्लाई की कुछेक प्रजातियाँ तो इससे भी अधिक गति पा लेने में सक्षम हैं। ड्रैगनफ्लाई अपने भार से दोगुने से भी अधिक भार उठा लेती है। ऐसा तो मानव द्वारा निर्मित वायुयान भी नहीं कर पाता। कहते हैं कि ड्रैगनफ्लाई को हेलीकॉप्टर के नाम से ही पुकारते हैं। ड्रैगनफ्लाई एकबारगी ऊपर उठ सकती है, नीचे आ सकती है, एकाएक तीव्र गति पकड़ सकती है, उड़ते उड़ते रुक भी सकती है। दाएँ अथवा बाएं झुके बिना यह अपनी दिशा भी बदल सकती है। विशेषताएँ तो इतनी हैं कि ड्रैगनफ्लाई पीछे की ओर भी उड़ सकती हैं, व हवा में एक ही स्थान पर टिकी भी रह सकती हैं। और तो और, किसी भिड़ंत के समय यह कलाबाजियाँ भी खा सकती हैं। आश्चर्य लगता है यह जानकर कि ड्रैगनफ्लाई इतना कुछ कर पाने में सक्षम है। आखिर ड्रैगनफ्लाई यह सब कैसे कर लेती है > यही जानने के लिए तो संयुक्त राज्य अमेरिका एयर फोर्स ने अपने वैज्ञानिकों को प्रचुर अनुदान शोध हेतु दिया हुआ है। इस दिशा में शोधकार्य लगभग सभी समर्थ देशों में वैज्ञानिकगण कर रहे हैं । विशिष्टताओं में ड्रैेगनफ्लाई ने अन्य सभी पंखदार कीटों को वस्तुत: बहुत पीछे छोड दिया हे | उनके शरीर का लगभग एक तिहाई से लेकर आधे तक का परिमाण तो उन मांसपेशियों का ही होता है, जो उड़ान में ही सहायक होती हैं। ड्रैगनफ्लाई के दोनों जोड़े लंबे, भुरभुरे, सेलोफेन से, पंखों पर रंगों का एक महीन जाल सा बिछा होता है। पंखों की इन्हीं विशिष्टताओं के कारण ही ड्रैगनफ्लाई भाँति-भाँति के आश्चर्यजनक करतब हवा में सम्पन्न कर पाती हैं। मंथर गति की उड़ान पर अग्रपंख व पश्चपंख एक दूसरे से भिन्न लय में फड़फड़ाते हैं। द्रुत गति की उड़ान पर ये चारों पंख एक लय में, एकसाथ सामंजस्य बनाए फड़फड़ाते हैं | तमाम बातों में किसी भी अन्य पंखदार प्राणी को मात करने के अलावा, ड्रैगनफ्लाई में दृष्टि की भी विलक्षण क्षमता पाई जाती है, जो शिकार करने में विशेषतया सहायक सिद्ध होती है। इनकी बड़ी बड़ी गोलाकार आँखें, सिर का अधिकांश भाग घेरे रहती हैं, दोनों आँखों में 30,000 के लगभग लेंस पाये जाते हैं जिस कारण ड्रैगनफ्लाई के अवलोकन का क्षेत्र 360 अंश तक विस्तृत हो जाता है अर्थात्‌ ये अपने चारों ओर देख पाने की क्षमता रखती हैं। घास में बैठी एक ड्रैगनफ्लाई लगभग एक मीटर की दूरी पर बैठे एक कीट को भी देख लेती है। तीव्र गति से जा कर उसे झपट लेती है, तथा वापस अपने स्थान पर आकर उसे ग्रास बनाने को बैठ जाती है। इतना सब करने में उसे समय कितना लगता है ? एक सेकेंड से मात्र कुछ ही अधिक, बस । अपनी अद्ितीय छटा ` तथा आचार- व्यवहार के कारण इेगनपफ्लाई का नाम तमाम लोकवार्ताओं से संबद्ध है। कुछेक जनश्रुतियों के अनुसार ड्रैगनफ्लाई सर्पों की सेवक है, तथा मृत सर्पों को जीवित कर देती है। दक्षिण अमेरिका में तो इन्हें 'स्नेक डॉक्टर' के नाम से ही पुकारा जाता है। ड्रैगनफ्लाई को 'डेविल्स डार्निंग नीडिल' का नाम भी दिया गया है। ऐसी मान्यता है कि नटखट बच्चों के सोते समय यह उनके होठों को सिल दिया करती है। सत्य तो यह है, कि मनुष्यों को ड्रैगनफ्लाई से कोई भी घाव अथवा क्षति नहीं पहुँचती है। कहीं कहीं तो इन्हें आई स्टिकर', 'हॉर्स स्टिंगर' अथवा 'म्यूल किलर' भी कहकर पुकारा जाता है। ऐसा माना जाता है कि घोड़ों व खच्चरों की आँखें बींघ कर ये, अन्तत: उनका वध कर देती हैं हालाँकि वैज्ञानिक तथ्य ऐसी बातों के सर्वथा विपरीत है। कीट तो वैसे ही भयानक एवं अप्रिय होते हैं तिस पर ऐसा कीट जो आकार में सिरिंज जैसा हो, जिसके पंखों का विस्तार 12 सेमी0 के आसपास हो विज्ञान/अग्कर 2003/14




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