महान कृषि - वैज्ञानिक प्रो॰ धर | Mahan Krishi- Vaigyanik Pro. Dhar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Mahan Krishi- Vaigyanik Pro. Dhar by डॉ शिवगोपाल मिश्र - Dr. Shiv Gopal Mishra

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ शिवगोपाल मिश्र - Dr. Shiv Gopal Mishra

Add Infomation AboutDr. Shiv Gopal Mishra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
3 प्रो° धर अपने गुरु क साथ प्रो० घर अपने गुरु आचार्य प्रफुल्ल चन्द्र रे के व्यक्तित्व से अत्यधिक प्रभावित थे । सादगी, अथक परिश्रम तथा मितव्ययतापूर्वक जीवन विताने की प्रेरणा आपको अपने गुरु आचाये पी० सी० रे से ही मिली শী । प्रो० धर “आचायें प्रफूलल चन्द्र रे : लाइफ एण्ड एचीवमेन्ट्‌'” नामक पुस्तक में लिखते हैं कि आचार्य पी० सी० रे अपने शिष्यों के प्रति सदैव उदार रहते थे तथा शिष्यों द्वारा प्राप्त की गयी उपलब्धियों की सदैव प्रशंसा करते किक थ | সী০ धर लिखते हैं-- “में जुलाई 1907 में विज्ञान के अध्ययन हेतु कलकत्ता आया तथा लगभ्नग 12 वर्ष पश्चात्‌ अर्थात्‌ जुलाई 1919 में इलाहाबाद में पढ़ाने हेतु आया । इस प्रकार देण में हो रहे रसायन विज्ञान के विकास से मैं पिछले 51 वर्षों से निकट से सम्बन्धित रहा । 51 वर्षों की इस अवधि के दौरान में अपने गुरू माचायं पीर सी० रे के जीवन तथा कार्य से सम्बन्धित कई लेख लिख चुका था तथा कई व्याख्यान दे चुका था। पश्चिमी बंगाल सरकार ने मुझे आचार्यं रे पर एक छोटी पुस्तक बंगला भाषा मे लिखने के लिये आमन्त्रित किया किन्तु मैं अपने स्वयं के शोध तथा शिष्यों की डाक्टरेट डिग्री से सम्बन्धित शोध में अत्यन्त व्यस्त होने के कारण नहीं लिख सक्रा । में इस बात से प्रसन्‍न हूँ कि में आचार्य पी० सी० रे के जीवन-चरित्र से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथा उनकी उपलब्धियों, शो कार्यो तकनीक के विकास पर उनका प्रभाव तथा हमारे देश को तरक्की मे उनका योगदान इत्यादि विवरण लिख सकने के योग्य रहा हूं । प्रो° धर लिखते हैं-- अपने गृूरू आचार्य पी० सी० रे पर दिये जाने वाले प्रत्येक व्याख्यान में में श्रोताओं को सदैव यह्‌ दिखाया करता था कि मरक्यूुरस नाइदाइट के क्रिस्टल बनाना




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now