कैलाश - पथ पर | Kailash-path Per

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Kailash-path Per by रामशरण विद्यार्थी - Ramsharan Vidyarthi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उष्णता वे ऊंचाई पर पर्वतीय दृश्य प्रीष्म ऋतु के आगमन से मैदान तो तांबे की कढ़ाई के समान तपने लगते ह । साधारणतया मनुप्य की इच्छा इस ताप से बचने ओर शीतल जल्ल तथा वायु के सेवन की होती है'। इस ही भावना से प्रेरित हो लोग पहाड़ों के शीवत्न प्रदेश की ओर भागते हैं । कुंमायू' प्रान्त की चढ़ाई करने बाले प्रायः काठगोदाम से सीधे २२ मील दूर नेनीताल जाकर विश्राम केते हैं । चारों ओर पवतों से सुरक्षित तथा मध्य में विशाल मील से ‰




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