दो स्मृतियाँ | Do Ismartiya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गणपत चोपड़ा जैन - Ganpat Chopda Jain
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ ও
कि देवी को দল चंढांवों होगा 1 एक बकरे को मारकर बलि
छढाने से श्राप बच जायेंगे | हम बकरा ले जाते हैं और आपके
सापने ही 'काद कर देवी को चढा' देते हैं ॥ किस्तूरचन्दजी से
कहा: कि मुझे मृत्यु का भय नहीं है । मैं मझ था जीऊ मगर
इस प्रकार किसी जीव का घातः नहीं कर सकता ॥ मेरा जीवछ
बचाने के लिए बकरा नहीं मारता है ॥
वन्धश्चों 1 इसे कहते है धमपसरुणता ॥ स्वांके कारण
व्यत्ति न जाने क्या-क्या धर्नदिक क्यः शझत्याचार कर लेता हैं।
धर्म का मर्म समझने बाला, घर्मपरायण খুন हो संकट की घड़ी
मे श्रपना घर्मं निभा सकता है । श्राप इस प्रस से घी किस्तुर
चन्दजी की शक्ति शरीर घर्मवरायणत्ता को अच्छी तरह समभ
गये होंगे ट ९ ॥ हलक हा ९ ५ ^ এ কি 28 উন
दास्पत्य जीवन
यहु तौ श्राप पहले-ही पढ चुड़े है. कि. भापज्ा विवाह १५६
साल की छोदी उम्र.में ही हो गया था । आपके दो पूत्र व
एक पूत्री हुई ॥ जिनका चाख हमरा: गणेश, पन्चा थे भीखी घा)
आए पल्दिये की मां से जादी जाती थी 1 शापको सन््तान-छुछ
प्रस्थायी ही मिला + काल ने किसी को झाठ महीने से, किसी
को छः महीने उस लिया 1 फाय इतमे पर সী অন नहीं
हुआ । आपको शादी किए सिर्फ १३ वर्ष हुए थे बि.से
१६८० भोज वदी १ को कलने लपका सहाय ভীল लिया |
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