हिंदी एवं मराठी के वैष्णव साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन | Hindi Avam Marathi Ke Vaishanav Sahitya Ka Tulnatmak Adhyyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ৭% ] परमानन्ददास, कुंभनदास, क्ृष्णादास अधिकारी, नददास, चतुर्भूजदास, गोविन्दस्वामी, छीतस्वामी । मीरावाई---जोवनी, कुछ किवदत्तियाँ, रचनाएँ । षष्ुप्‌ अध्याय | व पृष्ठ ३३३ से ४५८ मराठी बेष्णव कवियों का आध्यात्मिक पक्ष - ज्ञानेश्वर के द्वारा अभिव्यक्त आध्यात्मिक विचारों का स्वरूप, परतब्रह्म का स्वरूप, परब्रह्म का ज्ञान सुख प्रदान करता है। ब्रह्म का सर्वत्र अनुभव, परमात्मा प्रकृति के गुणों से वद्ध नही है। जगत्‌ का स्वरूप, जीव स्वह्प, सगुण परब्रह्म स्थिति । ज्ञानेश्वर की दृष्टि मे कौनसे भाष्यकार थे ? ज्ञानेश्वरी मे मिलने वाले आध्यात्मिक विचारों का सार । लोगो के लिए किया गया कर्म, कमयोग भौर सन्यास-योग समान है, इसके बारे में ज्ञानेब्बर के विचार। कर्मों को ईइ्वरापंण करना चाहिए, ज्ञानेश्वर की सीख । कर्मफल ईव्वरापंण से ज्ञान प्राप्ति। ज्ञानेश्वर का जीवन विषयक दृष्टिकोण, ज्ञानदेव का योगमार्ग । योगाध्ययन, विवेचन । गुरु द्वारा सम्प्राम लाभ | ज्ञानेश्वर-विनय भावना । मराठी वेष्णव कवि नामदेव का ग्राध्यात्मिक पक्ष । भक्ति मे विरोध, जीव का कर्तव्य, भक्त का आत्मनिवेदन, भक्त और भगवान्‌ का अभिन्नत्व । नामदेव की माधुये-भावना, इन्द्रियो की चचलता। गुरुकृपा से सम्पन्त नामदेव का स्वरूप-साक्षात्कार | सद्गुरु के द्वारा पथ-प्रदर्शन, ब्रह्म का स्वरूप, साधन, नामदेव की भक्ति और आध्यात्मिक विचारों का स्वरूप, भजन की एकाग्रता मे लौकिक-व्यवहार-विस्मरण । ब्रह्म का सर्वव्यापी स्वरूप, वेराग्य भावना, नामदेव की माधुयं-भक्ति। एकनाथ का आध्यात्मिक অল | व्यक्तित्व और आध्यात्मिक साधना, पारमाथिक साधक एवं साहित्यकार की स्वनि- मित॒ एवं साधक-साधना-प्रणाली, परिस्थिति का तीत्र आघात, चित्तवृत्ति का तीव्र उन्मेप, ग्रुरुसेवा से তন্ন आध्यात्मिक ज्ञान | ओवी का उदात्त रूप, योग्य ग्रुरु का योग्य निष्य , एकनाथ का स्वात्मसुख । एकनाथ एक चतुर जिष्य, सदुगुर प्रेरित कायं, एकनाथ की चिकसनशील पारमाथिक साधना, गुरुकपा ओर अपने शिष्य का अधिकार तथा सगुणोपासना का महत्व । एकनाथ एक पात्रतम शिष्य, सगुणौ- पामना मे आस्था, सगुणोपासना का परिणाम, सद्गुरु महात्म्य । एकनाथी भागवत एक महान दार्शनिक ग्रन्थ है। श्रीमद-भागवत्त का आध्यात्मिक महत्व, श्रीमद्‌- भगवद्गीता ओर उद्धव गीता का आध्यात्मिक अन्तर । ईइवर-प्राप्ति में भापा बाधक नही है। भागवत की परिभाषा, भगवद्‌ भक्तो का मामिक स्वरूप | कृष्ण द्वारा निजी सग्रुण-ध्यान वर्णन, समग्रुण ब्रह्य का महत्व, , जीवन के प्रति दृष्टिकोण व्यक्त करते वाले आख्यान, कृपणा और घनलोभी ब्राह्मण का उद्धार, कामवासनाका




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