भगवान् आदिनाथ | Bhagvan Adinath

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bhagvan Adinath by बसंतकुमार जैन शास्त्री - Basant Kumar Jain Shastri

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about बसंतकुमार जैन शास्त्री - Basant Kumar Jain Shastri

Add Infomation AboutBasant Kumar Jain Shastri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
{ १३) « '्रे !।! रानी का रोम रोम नाच उठा। श्रपने आपको प्रम्हालती हुई रानी ने पून पूा-किन्तु ्रापको कंपे ज्ञात होग्वा कि र. 1 „+ ~ নী? জব অব নমল কে ই ই वैसे ही मनि उसका स्वप्न-निमित्त-ज्ञान के द्वारा जान लिया मँ अच्छी तरह न सम सकी ।' न्तो क्या एक, एक, को समाना होगा ? हाँ स्वामिन ।' 'तो सुनो ! ऐरावत हाथी देखने से उत्तम पुत्र होगा। उत्तम वैल देखने से समस्त लोक मे उच्च होगा । स्ह देखने से अनन्त वलशाली होगा! मालाओो के देखने से समीचीन धर्म का चलाने वाला होगा । श्रे 71 'सुनती जाओ लक्ष्मी को देखने से सुमेर पवेत प्र देनो द्वारा अभिषेक को प्राप्त होंगा। पूर्ण चद्धमा को देखने से समस्त 'प्राणियों को आ्ानत्द देने वाला होगा । भूयं देखने से देदीप्यमान 'प्रभा का धारक होगा। दो कलश देखने से अनेक निधियों का स्वामी होगा। 1 ओश्चये 1! भोली ! इसमे श्राश्चर्य की क्‍या बात है। वह तो पुण्यशाली है ही पर तुम प्रपने भ्रापको न्षी तो देखो कि जिसकी कुक्षी मे ऐमा पुष्वात्मा अवतरित हुआ है ॥ श्यां ` ओह रानी फिर प्रानन्द सागर मे नहा गई। 1... तो मैंतुगहे वता रहा था * श्रागे नुतो. युगल मछलिया | देखने से चुद्ली होगा । सरोवर देखने से अनेफ लक्षणों से चुमोभित ' होगा। समुद्र देखने से केवली होगा। सिहातन देजने से जमत का भ्रुरू होगा, জাত को प्राप्त होगा । देवो का विमान देखने से




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now