श्री स्वामी रामतीर्थ | Shree Swami Ramtirth
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका: छ
रड्ताथा। 1 এ
अतएव स्वामी राम शपते परवती जीवन के उपदशं में
जिखनज्ञानसिक्ामनल्लेति दं चद वङ्ी कडा घोर জা হাহ
कटिनतम परिश्रम स सती २ कर के सचित किया था | तथा
हमारे लिये अत्यन्त करुणा से परिपूरो दे, क्योंकि हमें याद
है कि, अत्यन्त द्रिद्र ओर कटीले जीवन में वे अपने को
कवि, तत्वज्ञानी, विद्वान. और गणितशासत्री चना सके । `
लादौर के सरकारी कालेज के प्रधानाध्यापक ने जब प्रान्तिक
सुस्की नोकरी ( स्तिविल सवि ) के लिये उनक्ना नाम भजने
की द्या दिखाने की इच्छा भकट की थी, तव रामने सिर
झुका और आखों में आंख भर कर कद्दा था कि अपनी फसल
बेचने के लिये मैंने इतना भ्रम नहीं किया था, वांसन के लिये
किया था | अतण्य शासक कमेचारी बनने की अपेक्षा अध्या-
पक दोना उने पसन्द हुआ |
ऐसा लिप्त और विद्या का इतना प्रेमी विद्यार्थी खुछ और
सखत्यभ्रिय অন্তত में स्वभावतः विकसित दोता दी दै। तु
विद्यार्थी अवस्था मे राम की चुद्धि अपने इढदे-गिर्द की
परिस्थितियों से पूरतया दुर रह कर पूर्ण एकान्त का ख
लूट॒वी थी। वे अकेल रहते हुए पुस्तकों के द्वारा केचल
मद्दात्मा पुरुषों की संगति करते थे। अपने उच्च कायाम
* दिलोजॉन से लगे हुए वे न হুছিলি. देखते थे न बॉय 1 अपने
जीवन को उन्दों ने दचपन से हो अपने आदशों के स्वर में
मिला लिया था। उन्तकी विद्यार्थी-अवस्था में उन्दे जानने
बाल उनके चरित्र की निर्मेत्र स्वच्छता आर जीवन के उच्च
ज्ैतिक लक्ष्य को सन््माव स्वीकार करते সদন विद्यार्थी
जीवन से स्वासी राम भीठर.दी भीतर बढ़ रहे थे | थे अपने
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