आर्य सत्याग्रह | Aarya Satyagrah

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[{ क | खनाना भी कोई अपराध नदीं हे । पुलिस का यद कहना सरासर भूरठ दै किं यदि वह वहां प्रबन्धन करती, तो वहां श्रशान्ति पैदा हो जाती। वहां खुफिया पुलिस के सिपाहियों के कोई ओर प्रबन्धन था शीर न कोई वहां मुसलमान ही था। अस्ती घटना को इस रूप में पेश करना मुसलमानों को उत्तेजना देना हे । पुलिस की यह दुर्नीति विचारणीय है।-चह आर्यसमाजियों ` ` पर इसे भकार मिथ्या अभियोग लगाकर उनके शान्तिमय प्रचार फो -रोकना चाहती है । पुलिस की इस साम्प्रदायिक और पक्तपातपृ नीति की वजदसे दीर्गः दमे की पैरवी नह - करना चाहता और न उसमे - भाग हयी लेना चाहता हं । इस मवस्था में न्याय की आशा करना व्यथे है। मेँ हर मुसीबत और आफ़त को सहन करने को तय्यार हूं। मुकदमे से हाथ. खींचते-- हुये ईश्वर से मेरी यह “माना है कि बह पुलिस को सद्‌ वुद्धि आर मुके सच मुश्किलों को सहन करने की शक्ति प्रदान करें |” न्याय-का नाटक पूरा होकर एक वष को नेकचलनी की जमानत - सांगी गई, जिसे न देकर आपने जेल जाना ही मंजूर किया । १३ अक्तूचर १६३८ को पं० नरेन्द्रजी को 'भी गिरफ्तार करके - मन्नानूर में कालेपानी भेज दिया गया। वास्तचिक सत्याग्रह यहीं से शुरू होता है; जिसका प्रारम्भ निज़ाम राज्य में वहां के ही आयेसमाजियों द्वारा किया गया था । ह आये सत्याग्रह का वीजारोपण किस प्रकार हुआ/--इसकी ` चर्चा यथास्थान की गई है। :लेकिन, -छुछ . महत्वपूर्ण घटनाओं की चंच অন नहीं की जा सकी । यहां -उनका संक्षेप में उल्लेख. :




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