भगवद्गीता | Bhagwadgeeta
श्रेणी : पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)কিরে
(৩)
येग यू उन सप केष लियमितः फरमुंक में ऊहऊाता है पे
इन्द्रियां वश कर लेता हैः दोहि घत्न प्रतिष्ठषएाला १६९१
विषये सेंडपांच ऊूगाने से; सर उसी दिघय হসলালা হী।
' संगसे फास उत्पण्त हीय फरं फ्लोध केर फिर उपजरताहै।६२
'क्रोच से सेह मगठ छोकर, षो तिर स्मृती माता है।
इसणे शक्ति समिट जाने से, ये घही जाश' कराता है ॥
` नि्टचयास्मका लह ছটা, जब, प्राणोयें बिसराता है ।
मणौ हायकर विषयें म, फिरता थे चछुर खाता है॥ ६इ॥
नए जात्नदशो ' मीर विधेयात्मा, रागद्वेबः घशाता है।
झन्द्रिम से घिणयें से विषवरे,'धेए खानन्द् লালা ই ॥ ६४॥
सिसेल घितके पएोने. सेये, रे दुःख उट्ासा है
चिस प्रसक्ष हो जाते से फिर, शीघ्र हि लझ्धि ठराता है।॥ ६५॥
नहीं 'जयक्त फो बुंदी घिर, नहीं भात्मज्ञाव, दशॉपता है ।
भावभाधिनकेणाल्तिनंहीं िलशान्तिन हीं सखि या ता है।। ६60
হ্ীব মাঘ আস নিন से; पल में भाव बद्धाता. है ३
धसे एन्द्र जघ विधिये मे, विचरं जो छलचाता है ॥
खाकतर सन इन्द्रिन पीड, विष्यो सें केश चाता है । ।
संग में घही कः छेलकर, पत्तो क्षा इर्वाता ३1 * ६७ ॥ `.
सघ यरः से निरूकी सल्द्रिन छेष्दन्द्रिन कजे भखातारै।
উই सदा भुशा बे इससे, यो प्रज्ञा मत्तिष्ठाता, है ॥ ६५८७
देष्ठा--नो चव भूतो को सशर, संयनिकाव्ये भान्, .
प्मणी शं खखप्न मे, संयि जागे न्तन ।। ` `
खो भतो ष्ठा जागना, निशा यो सुनि विद्वान ।
ये दिषये में जागतेस वो सोये सुनसान ६९ ॥
जैसे आपदि पूछ हूँ. अचछ प्रतिष्ठावान ।
सागर में घर ভাই, ক লা उंत्तरन थे
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