भाग्योदय का मार्ग | Bhagyoday Ka Marg

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Bhagyoday Ka Marg by श्री बासप्पा दानप्पा जती- Shri Basppa Danappa Jati

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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देश और समाज ध्र কর্নীন समाचारपन्रो की सेवा कर सके इन २५ सालो मे ्हदुस्तानं समाचार के कार्यकर्ताप्रो ने बडे विनम्र श्र विनीत भाव से इस ऐतिहासिक अ्रावश्यकता को पूरा करने की निष्ठापूर्वक कोशिश की है। इसे सहकारी संस्था के रुप में चलाने के लिये प्रापके सुख कई कठिनाइयाँ भर वाघा भी प्रस्तुत हुई , परतु आपके लगातार परिश्रम के फलस्वरूप आपकी यह सस्या आगे बढ़ी, शौर बडे सस्थान का स्वरूप इसने घारणा किया। अपने उत्त्कृष्द सनोरथ में आपने जो सफलता पाई है, उसके लिये मैं श्राप सवको बधाई देता हैं । मिलकर काम करने का जो श्रादर्श है उसके लिये सहकारिता की भावना बहुत श्रावश्यक हैं, जिसमें से उसका समस्या रूपी शरीर जीवन प्राप्त करता है। वृत्त मस्था की सफलता उसके सदस्यो से मिलकर काम करने की भावना पर श्रवलवरितदहै। हस श्रयसर पर महस सस्था के सस्यापक एवं सपादक, श्री एस ° एस ० श्राष्टे को भी वधाई देना चाहूंगा, जिनके त्याग श्रौर समर्पण के जीवन ने प्राय सभी कार्यकर्ताश्रों को इस सहकारी प्रयास के निमित्त अनुकूल वातावर्ण तंयार करने के लिये प्रेरित किया । मुर्भे बताया गया है कि प्रातीय समाचारों का उस प्रात की भाषा में दिया जाना, भ्रखिल भारतीय श्राकाशवाणी के प्रसारण के लिये वडा उपयोगी है। इस सबध मे में हिंदुस्तान समाचार” के पत्चकारो को यही सलाह दूँगा कि चे उन विकास कार्यों के वारेमे दिए जनेवाले समाचारो पर श्रधिक ध्यान 'केंद्रित करें, जहाँ पिछले कुछ वर्षों से देश के विभिन्न क्षेत्रों मे तेजी से काम हो रहा है। यह नितात आश्रावश्यक है, क्योकि कई बार पत्रकार केवल राजनंतिक समाचारों पर ही श्रपना ध्यान केंद्रित कर लेता है। वास्तव में “राजनैतिक” समाचार हमारे समन्वित जीवन का एक श्रश मात्र है। इसलिये पत्रकार की लेखनी श्रायिक, समाजिक श्रौर सास्कृति जीवन को भी प्रतिविवित करते मे समथं होनी चाहिए । मुर्भे विश्वांस है कि हमारे पत्चकार हमारे देश के विभिन्न भागों मे जो विकास कार्य हो रहा है, उसके निरीक्षण, पर्यवेक्षण तथा उसके वारे में समाचार देने के लिये श्रधिक उत्सुक होगे श्रौर इससे प्रचुर श्रीर विविध अनुभव का लाभ प्राप्त करेंगे। इसके लिये उन्हें भी कई कठिनाइर्याँ ऑलनी पडेंगी, जिनका जन साधारण सामना कर रहा है । इस तरह पत्रकार हमारे समाज में हो रही प्रगति श्लौर विकास का मूल्याकन कर सकेंगे । पत्रकार का काम बडी जिम्मेदारी का काम है। उसकी पैनी दृष्टि न केवल राष्ट्रीय समस्याश्रो, सामाजिक श्रवस्थाश्रो तथा ग्रामीण झचलो में नव




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