गीतातत्त्व | Geeta Tattv

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Geeta Tattv by स्वामी शारदानन्द - Swami Shardanand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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परिचय ९, हैं। इसकी हमने प्रत्यक्ष देखा है। परमईंसदेव भयानक रोगप्रस्त हुए | छः महीने तक भोजनादि प्राय: बन्द रहा। किन्तु उनके साथ रहने- पालों में मद्दान्‌ आनन्द का प्रवाह बहता रहा। अलद्यन्त ग्रढ साधन, प्ताप्तारिक कूठ प्रश्नों की मीमामा तथा निरचच्छिनन आनन्द प्रदान कर उन्होंने सबको मुग्ध कर रखा। रोग, दु खया कष्ट का नाम तक नहीं था। अर्जुन स्वय मावान्‌ के निकट थे | ज्ञान की वार्तो को समझाने में उनको समय ही कितना छगा? अत: यह प्रक्षित्त नहीं है। यदि कहो --- इन सत्रके अतिरिक्त गीता का एक आध्यात्मिक अर्थ है, और वह यह कि समार-क्षेत्र में इन्द्रियों के साथ युद्ध, खाथ-संग्रह का युद्ध, ऐसे न जाने कितने ही युद्ध मनुष्य को दिन-रात करने पढ़ते हैं, न विराम है और न शान्ति है, और इन सम्राममों में विजयी होकर मानव किस प्रकार से जीवन के सार उद्देश्य को प्राप्त करेगा, इस विषय का विशेष समाधान करना ही गीता का अभिप्राय है --- तो अच्छी बात है, ऐपा विश्वास करना चाह्दो तो कोई आपत्ति नहीं | में पहिले ही कह चुका हैं कि गीता को उपनिषदों में स्थान दिया जाता है। बहुत से लोग ख्तानादि से निद्धत्त होकर प्रतिदिन कम से कम एक अध्याय गीता का पाठ करते हैं। वे गीता के प्रत्येऊ ब्लोफ को मत्र जैसा पवित्र समझते हैं। मत्र के जिम प्रकार ऋषि, देवता, छन्दादि हैं, बैपे ही गीता में भी है] गीता के ऋषि वेदव्यास हैं, क्योंकि उन्होंने ही मंत्र का दरीन किया | ('हषि जब्द का अर्थ अतीन्द्ियदर्भी से हे ।) पहिले उन्होंने देखा, फिर मत्रके लिए उम विषय फो घ्छोकों में नितर्ठ किया। उनके ही समीप मंत्र प्रथम प्रकाशित




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