पद्मिनी चरित्र चौपायि | Padhmini Charitra Choupai
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
298
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ७ )
इस मत्रणा का दोष सुपत्नी प्रभावती के पुत्र वीरमाण
को दिया गया है |
(बे) कथा भाग को यत्र-ततन्र परिवद्धित कर दिया गया है|
दलपत-दौछतविजय के ख़ुमाण-रासों से भी पद्मिनीकी
कथा दै राघवचंतन्य से अलाउ्दीनने राणा रतनसेन को
पकडा । किन्तु इसमे रतनसेन जटमर नाहर की गोरा
बादल चोपई' का कायर रतनसेन नहीं है, इसका अछाउद्दीन
भी कुछ वादशाही शान रखता हें। उसने गुण को परखना
सीखा हे |
` राजपूत कालीन राजपृती का सुन्दर वणन भी इन शब्दों
में दर्शनीय हे ।
ग्जपूता ए रीत सढाई, मरणें मंगल हरखित थाई ॥४ण॥।
रिण रहचिया म रोय, रोए रण भाजे गया ।
मरणे मगल होय, इण घर आगा হী ভবাঁ।| ৮৫11
इस विपय की अनेक अन्य ऋृतियां भी प्राप्त है? । टॉड ने
अग्रेजी मे पदमनी का चरित्र श्रस्तुत किया है। उसने रतनसेन
के स्थान पर भीमसिंह को रखा । पद्िमनी सिंहलल्लीप के
राजा हमीरसिंह चौहान की पुत्री है। गोरा पदिमनी का
१--देखं प° १२९-१८१ कै
रखें शोच पत्रिका, माग 3, আন্ত ? में श्री नाइटाजी का उपयुष्त
रेखे ।
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