पण्डित श्रीमलजी महाराज | Pandit Shri Malji Maharaj
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
410
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका
दीप्तिमान निर्मल गौर वणै, दारौनिक सुखमण्डल पर खेलती নিহত
स्मितरेखा, उत्फुछ नील कमल-सी विहसती स्तेह-स्निध अखि, स्वणै-
फलक-सा दमकता सर्वतोभद्र भालपट्ट, कर्मयोग की अरतिमूर्ति-सी सुगठित
एव संतुलित देह-यष्टि, यह है- पण्डित सुनिश्री श्रीमलजी कै सर्वद
मुन्द्र सुदशन व्यक्तित्व का बाहरी परिचय।
बाहर में जितने नयनामिराम, अन्दर में उस से मी अधिक मनो-
मिराम। मंजुल सुखाकृति पर झलकती निष्कपट विचारकता की दिव्य आमा,
वालक जैसी सरल, उदार ऑँखो के मीतर से छलकती सहज स्नेह-
रुषा, जव देखो तब बातचीत भ सरस शाखीनता, संयमी जीवन की
जीवत विज्ञापन-सी विवेकःबिम्ित क्रियाशीलता, जागत हदय की
उच्छ सवेदनरगिकता एवं उदात्त उदारता, यह सब कुछ एसा अन्त-
देशन था, जो दर्शक के मन-मस्तिष्क को एक साय प्रभावित कर देता,
और क्षणभर में ही जीवन की अनन्त दूरी को समाप्त कर निकटता के
मत्र भे वान्ध छेता, यह मेरे अनुभव की बात है।
भेरा उन का प्रथम परिचय आज से सोलह वर्ष पूर्व जयपुर में हुआ,
जब कि श्रमण-संघ के सगठन की योजनाएँ बन रही थी। अत्यधिक-श्रम-
जनित अस्वस्थता के कारण हाई का दद मैं विनयमूर्ति श्री विनयचद
भाई एवं खेलशंकर भाई जौहरी के बगले पर विश्रान्ति-छाभ कर रहा
था। दैहिक विश्राम लेते हुए भी मन योजनाओ के चक्र मे व्यस्त था। साधु-
के प्रश्न को ठे कर इधर-उधर काफी उथल-पुथल थी, अनेक
छ
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