अमेरिका : एक बिहंगम दृष्टि | America Ek Vihagam Drishti
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
304
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)है। जो कुछ वच रहा है उसे सजाकर रखने में ही लेन्दन अपने
-व्रचैस्व की इतिश्री समभने ल्गारै! वह् विदेशियों को वसाने में
ह्िचकने लगा है । एक जिम्मेदार अधिकारीने मुभे वताया कि জন্হুল ह
में चिकित्सा व शिक्षा मुफ्त है जिसके लिए विदेशियों से कोई कर नहीं
{लिया जाता लेकिन छन्दनवाक्षी हर सप्ताह अपने वेतन में से कुछ अंश
कटवाते रहते हैं जो सामाजिक सेवाओं पर खर्चे किया जाता है । इन
सेवाओं का लाभ विदेशियों को भी मिलता है जिससे करदाताओं में
असंतोष है । वे नहीं चाहते कि ज्यादा विदेशी यहां आकर बसें ।
लन्दन में भारतवासियों की संख्या बहुत है । साउथआल में करीब १५
हजार भारतवासी हैं जिनके कुछ उम्मीदवार आगामी स्थानीय चुनावों
में भी खड़े हो रहे हैं । लन्दत में विदेशी नागरिकों के रजिस्ट्रेशन का
कानून नहीं है, अतः यह ठीक - ठीक बताना मुश्किल है कि यहां
कुछ भारतवासी या विदेशी कितने हँ, परन्तु उनकी संख्या कई लाख
है । इस तरह विदेरियों एवं काले - गोरों के सवाल आपस में मिल
गये हैं और आजकल एक साथ उभर कर आये हैं । मई दिवस के
प्रदर्शव में पालियामेंट के सामने इनके समर्थतर में नारे लगाये गये ।
उसी दिन वी. वी. सी. के टेलीविजन पर लिवरल पार्टी के विवाद-
रत नेताओं को भी बुलाया गया और वर्णभेद सम्बन्धी कार्यक्रम का
विशेष आयोजन किया गया | लिवरल पार्टी में वर्ण भेद सम्बन्धी
प्रसारण को लेकर गहरा विवाद चल रहा है । ह
लन्दन के रहन - सहन में नये जमाने की छाप उतनी ज्यादा
नहीं है। टेरीवूल का जितना प्रसार भारत के बड़े - बड़े शहरों में हो
रहा दै उतना आज भी हरूच्दन में नहीं है । मेरे पहुंचने के दिन से ही
यहां वरसात हो रही है और सर्दी काफी बढ़ गई है | इसलिए छतरियों
और मर्म कपड़ों की वाढ़ आ गई है , लेकिन गर्म कपड़ों में वही
पुराने ढरें की ट्यूड और सर्ज देखने में आई है , टेरीवूल नहीं । यूरो-
पीय स्टेन्डडं कौ अच्छी पोल्लाक लन्दनवासियों को वेहद रुचिकर है।
मिनि-स्क्रटे पहनने वाली लड़कियां भूले भटके ही नजर आती हैं ।
' लन्दन : अपनी लकीर पर ০৩ ११
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