स्मृति | Smriti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
194
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ट्ट धर्मिणी श्राविका
| चुम्य प्रधान श्राचार्य श्री छुलसी |
पिछले कुछ वर्षो से मेरे मस्तिप्क मे सहज रूप से स्फूरणा हुई
कि महिलाओ का जीवन जितता मृत्यवान है, उसका उचित मूत्वां-
पत नही हो पा रहा है। पुरुष-प्रधान समाज में पुरुषों की गौरवन्गाधा
गाई जाती है और नारी जाति को उपेक्षित फर छोढ दिया गया है 1
इस विनार-तरग ने मुझे प्रभावित किया और मैंने निर्णव ले लिया
कि कम से कम अपने धर्स सघ की साप्वियो और प्राविकाओं के जीवन
फा सही मूत्याकन फरने का प्रयत्न हो । यस स्वप्त देयने भर फी देर
षी, उराक्रे फलित होने मे अधिक समय नही लगा ।
महिलाओ फे व्यक्तित्व को उजागर करने की खत खला एक
हुई । मैंने फुछ्ठ बहिनो को दृढ़ धर्मिणी श्राविकरा का सम्मान दिया।
पिछले दिलों शाविका 'स्त्नी-रत्त सोहनी देयी परठोतिया' की स्पृत्ति में
एक प्रन्य प्रकाशित हा, थी महिला जाति के गौरय का साथय है ।
राजलदेसर निवागिनी श्रायिका विमला देवी डागा की स्पृत्ति मे भी
ऐसा प्रयाव हो रहा ऐै। एसी श् छता में श्रायिद्ा एचरज देवी भप्डारी
(धीमती बसवन्तथय अण्टारी, जोधपुर) मी स्पृत्ति में स्मृति! फा
प्रयाशन हो रहा है । यह सहिलाओ देः प्रच्छन्न व्यक्तित्व की सामने
লাল णन प्रये ६ । ध्न्य परिता समा হী নত ঈলন্য লিল
सकती है ।
स्मृत्ति ] {५
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