सत्ता और व्यक्ति | Stta Or Vyakti
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
182
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सामाजिक संश्लिष्टता ओर मानव खभाव ५
किए हुये थी--समुदाय के अंतर्गत सहयोगिता और समुदाय के
बाहर प्रतिदंद्धिता की मावना। चू कि.उन दिनों समुदाय छोटे-छोटे
थे, इसलिए लोगों का आपस में एक दूसरे से गहरा परिचय हो
जाता था। इस परिचय के कारण सहयोगिता और मित्रता के
तेच मे व्यापकता का श्रना स्वाभाविक था |
सामाजिक संस्थाओं में परिवार ही सब से अधिक दृद
समुदाय हैं। व्यक्ति की आत्म-प्रेरणा खतः उसके साथ गहरी
बँधी हुई है | परिवार की थ्रावश्यकता का बोध छोटे-छोटे बच्चों
के कारण हुआ और इसलिए भी कि ऐसे बच्चों की माँ रोटी
जुटने में असमर्थ थी। इस परिस्थिति ने पिता को परिवार का
प्रमुख अंग बना दिया । ,पक्तियों की बहुत सी जातियों में भी
यही देखने को मिलता है। इस प्रकार परिवारके मीतर एक तरह
का श्रम-विभाजन हो गया--पुरुष के लिए शिकार और स्त्री के
लिए घर | शिकार में क्षमता पारस्परिक सहयोग से ही आती है।
जब इस तथ्य को लोग समभने लगे तो परिवार की परिधि में
विस्तार आया ओर जातियों के निर्माण होने लगे, और पार-
स्परिक संघर्पों के कारण उन में बहुत प्राचीन-काल से ही संश्लि-
पता का विकास भी होने लग गया | ।
आदिम मनुष्यों और अर्ड-मनुष्यों के जो अवशेष मिले
हैं उनसे मनुष्यता के विकास की सरणियाँ बहुत स्पष्ट हो गई
हैं। वे प्राचीनतम श्रवशेष, जिन्हें निश्चित्रूप से मनुष्यों का कहा
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