ब्रिटिश साम्राज्य शासन | British Samrajay Shasan

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British Samrajay Shasan by भगवान् दास - Bhagwan Daas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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হু জিহিহা साम्राज्य शासन हं कि भत्वेक नागरिक, पुरुष हो या स्त्री, युवक दो या वद्ध, शासद सम्बन्धी विपयों का यथेष्ट ज्ञान प्राप्त करे और, उन्हें मी मांति अध्यंयन और मनन करे, जिससे वह इस दिशा में सपने कतव्यो का उचित रीत्तिसे पाटन कर सके | विटि साम्राज्य शासन जानने की आवश्यक्षता- अपने ही देश की नहीं, हमें भिन्न मिन्न देशों की शासन पद्धतियों छा ज्ञान होना चाहिये। इलले हम यह सोच सकेंगे कि किस शासन पद्धति को कींनसा नियम ऐसा दे जिलके हमारे देश में प्रचछित हो जाने से हमारा कब्याण-होगा, तथा, कोन से नियमों का अचुकरण हमारे देश के लिए अद्वित- कर होगा | यद्वि अवकाश के अभाव से हम वहुत से देशों की शासन पद्धतियों का ज्ञान प्राप्त न. छर सकें, तो -कंम से कम पऐंसे देशों के विपय में तो हमें अचश्य दी ज्ञान होना चाहिये, जिनसे हमारा घनिष्ठ सम्बन्ध है या जिन की शासन पद्धति का प्रसाव हमारे देश की शासन पद्धति पर बहुत अधिक पढ़ता हे | उदाहरण के छिए, पाठक जानते हैं कि दे अवस्था में सारतवर्ष ब्रिटिश साम्राज्य के अन्तगेत दे । इंगलेंड का दादझ्याह यहां का सम्राद कहलाता हं । वद्य क्म पारय द्वारा स्थिर फी हुई शासन नीति त्रिटिय सारत मे प्रचलित है, तथा उस पार्ट को हमारी देशी रियासतों पर भी महत्व-पूर्ण अधिकार है। अनेक राजनीतिशों का मत हे कि सारतचर्ष की शासन पद्धवि ब्रिटिश साख्य क स्वाचात उंपनिवेशों की शासन पद्धति की शेद्दी पर संशोधित को. 1] *




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