पालिजातकावली | PaliJatakavali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
216
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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(४ ) भद्युत्तरनिकाय ( सक्नोत्तरनिकायः )।
(५ ) सखुदकनिकाय € श्ुद्रकनिकायः ) )
(३ ) अभिधसेपिटकपू--
पिट्कमिदं किंरूप॑ किंप्रयोजन वेत्यत्र बिवदन्ते विपश्चित: । तेषां मतान्यालोच्ये-
दूमेदादसीयते यदिदं सुझ्पिटकस्य दाशनिकं प्रतिरूपस् । येडथै निकायपन्नके भगव-
दुक्ता। अ्रवचनरूपेणोपरुभ्यन्ते, त एवाउश्र शारत्रीयद शा समवघाय साधु समाधीयन्ते ।
शस्यदे दिसागाः
( १) श्मेसन्नणिः ।
(२) निमन्नः।
( ३ ) घातुकथा |
८ ४ ) एरगरूपन्जति [ पुद्धल्प्रह सः ]।
(५ ) कथावल्ु [ कथावस्तु ]।
६) यमकम् ।
( ७ ) पढ़ान [ भरस्यानम् ]1
नाऽत्र दये सर्वेप्वेतेष कमप्याप्रदविशेष बध्नीमस्तदरूमनतिप्रयोजनीयेन-
पिस्तरेण । दषपिटके ये सन्ति प्टनिकायास्तेपामन्यतेमः क्षद्रकनिकायः । सिन
निकाय सन्ति अन्या अषस्तादुष्िखिताः ।
- ( १ ) खुदकपाठः [ छुद्रकपाठः ]॥ `
( २ ) भम्भपद्म् [ पम्मेपदम् ]।
( ३ ) उदानम् ।
८ ४ ) पति दुक्तकम् [ इति वृ त्ठकम् ] ।
(५ ) सत्तनिपात [ सत्ननिषात) ]1
६ ६ ) विमानदत्यु [ विमानवस्तु 11
€ ৬ ) पेतवत्यु [ प्रेतदस्तु ] 1
( ८ ) थेरयादा [ स्थविरयादा ]।
€ ९ ) थेरीगाथा [ स्थदिरागाथा ]1
(१० ) जातकानि। ।
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