झंकार | Jhankar

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Jhankar by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अथं जब तक रही अर्थ की मन में सोहकारिणी माया; तब तक कोई भाव सुवन का भूल न सुष्ठको भाया) नाची कितने नाच न जाने, कठपुठली-सी काया, मिटी न ठृष्णा, सिला न जीवन, वहुतेरा मुह वाया । भर्थ भूछ कर इसी लिए अव ध्वनि फे पीछे धाया, दूर किये सब অজি বাজ, दह ढोंग का ढाया । इसन्त्री का तार मिले तो सदर हो सरस सवाया, भोर समप्त्‌ जाऊं फिर में भसी-- यह मेंने है याया॥ १




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