भारतीय शिक्षा | Bhartiya Shiksha

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bhartiya Shiksha by राजेंद्र प्रसाद - Rajendra Prasad

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about राजेंद्र प्रसाद - Rajendra Prasad

Add Infomation AboutRajendra Prasad

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
२ विश्वविद्यालय ओर सामाजिक कल्याण' यहाँ मेरे समक्ष केवल भारत, वर्मा भर লঙ্কা के विश्वविद्यालयों के ही नहीं, वरन्‌ श्रन्य देशों के विश्वविद्यालयों के भी जो राष्ट्रमण्डल के सदस्य है, उपकुलपत्ति ग्रीर श्रन्य उच्चाधिकारी भी समवेत हे और इसलिए जो आदर आपने ममे इस सम्मेलन के उद्घाटन करने का निमन्त्रण देकर प्रदान किया है उसकी में बहुत व्र करता हूं । मेरा विचार हुं कि यह पहला श्रवसर हं कि जव एसा सम्मेलन भारत में हो रहा हैं और भारत का इन्दर यूनिवर्सिटी बोर्ड और विशेषत दिल्‍ली का घिदच- विद्यालय इस बात के लिए अपने को विशेष गौरवान्वित समझता हैँ कि उसे ऐसे प्रख्यात विद्वानों की मेहमाननवाज़ी करने का भ्रवसर मिला है | आपने विचार-विनिमय के लिए जो विषय श्रर्थात्‌ सामाजिक कल्याण की अभिवृद्धि में विश्वविद्यालयों का स्थानः रखा हं, वह सम्मेलन के खदस्यो के लिए ही नही, वरन्‌ ससार भर के विचारवान्‌ नर- नारियो के लिए भी काफो महत्त्वपूर्ण और हृदयग्राही हैं। हम लोगो को जो श्राज ससार में जीवित्त हे बहत सी वस्तुएं वहत मामूली-सी लगती ह किन्तु भ्राज से कृ चर्ष पहले লী उन्हे श्रभूतपूरचं भ्रौर चमत्कारिक वस्तुएँ माना जाता था। पिछले कुछ वर्षों से भौतिक विज्ञान और হাত के क्षेत्र में चयें तथ्यों के पता चलने का जो रफ़्तार रहो है उसने केवल दुनिया कौ शक्ल-सुरत ही नहीं बदली हं, वरन्‌ इर- दुर प्रदेशो के रहने वाले नर-नारियो का जीवन भौ विलकूल बदल दिया ह । भाष श्रौर चिजली ने यातायात के भ्रौदयो गिक उत्पादन श्रौर सचार-साधनो मे क्रान्तिकारी परिवत्तन कर दिया ह 1 श्रौषधि श्रौर इाल्यके क्षेत्र में जो नयी वाते खोज निकालौ गई हे उनसे शरीर के अनेक रोगो की जो श्रभी तक असाध्य रोग समझे जाते थे, चिकित्सा श्रासान हो गई है । इस प्रकार विज्ञान ने जीवच को सरल और श्रारामदेह बनाने के पझनेक साधन मनुष्य को प्रदान कर दिये है। इन्ही खोजो ने उसके हाथ में जीवन के हर क्षेत्र में विनाश के साधन दे दिये हे । वर्षों में श्राशचिक शक्ति को कावू में लाने के सम्बन्ध में जो प्रगति हुई है उससे तो विनाह् के साधनों मे श्राज तक जौ तरक्की हुई थी उससे कहीं ज्यादा विनाश-शक्ति मनुष्य के हायो मे आ गई हूँ। उसके १. भाषण राष्ट्रमण्डल के विश्वविद्यालय संघ की कार्यकारिणी और भ्रन्तविद्वविद्यालय समिति कं सयुक्त श्रधिवेदान का उद्घाटन ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now