इतिहास समीक्षा | Itihas - Samiksha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इण्डो-पाथियन इतिहास १५
प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व में श्रराकोसित्मा कुछ सीथो-पाथियन “शासकों के हाथ में
ध्रा गया था । इमका प्रमाण सुदुशास्त्रीय है। इन शासको के सिक्कों को कई वर्गों में बाँदा
जा सकता है । वं क मे एकं श्रोर महत राजराज श्रोनोनेस श्रौर महाराज भाता स्पलहोर,
वर्ग मे प्रोनोनेस के साय स्पलहोर के पुत्र स्पलगदम वर्ग ग मे राजा के भ्राता
स्पलीरिश और स्पलहोर के पुत्र स्पलगदम वशं व मे राज के भ्राता स्पलिरिमेम प्रौर महा-
राज के भ्राता इपलिरिश और वर्ग ड मे महत राजराज स्पलिरिसेस श्रौर महत महाराजा
इपलिरिश के नाम है। वर्ग 'ड' का एक प्रकार वगं “क' श्रयवा स' श्रौर वर्ग ग के एक
सिक्के पर श्रकित भिला है । स्पलीरिस ही स्पलहोर है! इस प्रकार यहाँ शसकोकी दो
पीटा ह । वोनोनेस के साथ उसके भाई स्पलहोर भ्रौर स्पलहोर कै पुत्र स्पलगंदम ने गासन
किया । बाद में इन दोनो ने पृथक् क्षतव के रूप मे भी सिक्के वनाये । प्रन्त मे स्पलिरिसेस
शासक हुआ । आरम्भ मे उसने राजा के भ्राता के रूप मे सिक्के चलाये थे स्पलिरिसेस
द्वारा बोनोनेस भ्रीर स्पलहोर श्रौर वोनोनेम श्रौर स्पलगशदम के सि्क्को पर मिले भाला लिये
भररवारोही राजां जेउस प्रकार को श्रपनाना, श्रन्य किमी शासक के साथ उसके सम्बन्ध के
श्रभाव मे यह् मिद्ध करता है किं वह भी बोनोनेस का माई था! प्रारम्भ मे उसने वोनोनेस
के साथ शासन किया और वोनोनेस के वाद मुरय शासक वना |
इसी सन्दभं मे श्रन्य सिक्को के चार वगं हैँ जिनके 'पूरवंमाग पर ग्रीक श्रौर पृष्ठभाग
पर खरोष्ठी के नाम श्रकित है । प्रथम मे प्रज्ञेस भ्रौर श्रय, दवितीय मे श्रजेस श्रौर श्रयिलिषप,
तृतीय मे भ्रजिनिसेस श्रौर भ्रयिलिप भ्रौर चतुथं मे भ्रजिलिसेस श्रौर श्रय नाम भिलत्ते है।
भाषा-विज्ञान की हृष्टि से श्रज प्रौर श्रय तथा भ्रजिलिसं श्रौर श्रयिलिष एक ही है। प्रजेस
नाम के दो शासको के अस्तित्व का समथन द्वितीय और चतुर्थ वर्गों के सिक्को की बनावट
में श्रन्तर, तक्षशिला के उत्खनन के प्रमाण और खरोष्ठी के श्रक्षर 'स” के रूप के प्रन्तर से
होता है। भ्रज्ञेस के विक््को के पूर्वभाग की विधियों में से “माला लिये भ्रद्वारोही राजा”!
विधि को अज़िलिसेस,ने पुनरकित किया जिससे यह भ्रज्ञेम श्रज़लिसेस से पूर्व हृश्रा था।
किन्तु “कोडा लिए हुए श्रदवारोही राजा” विधि ति श्रौर मिलावदी र्वादी के सिवको पर
मिलती है, यह भ्रज्षेस अजिलिसेस से वाद का था क्योकि भ्रज़िलिसेस के चाँदी के सिकको मे
मिलावट नहीं मिलती । इस पकार इन सिकको से श्रज्ञेस प्रथम, श्रज्ञि लिसिस और श्रजेस
द्वितीय का ज्ञान होता है। कुछ समय तक अ्रज़िलिसेस श्रज्ञेस प्रथम के साथ श्रीर श्रजेस
द्वितीय अज़िलिसेस के साथ शासन मे सम्बन्धित ये । ध्राकोमिग्रा से प्राप्त एक प्रकार पर
ग्रीक मे स्पलिरिसेस ओर खरोष्ठी मे श्रय का नाम मिलता है। श्रज्ञिलिसिस का एक प्रकार
स्पलिरिसेस के एक पक्के पर पुनरकित है। भतएव रपिलिरिसेस से सम्पन्धित श्रय को
प्रज़िलिसेम से पूर्व का अजेस प्रथम मानना चाहिए । इस प्रकार कोनोनेस फे वर्ग के शासक
भ्रज्ञेस वर्ग के शासकों के वाद हुए थे ।
भजेस द्वितीय के साथ उसके सिक्को पर विजयमित्र का पुत्र श्रप्रचरज इत्रवर्मन और
उसके वाद इन्दरवर्मन (=इघ्रवर्भय्) क पुत्र भ्र्पवमन् सम्बन्धित है । इन्द्रवर्मन् का पुत्र
भ्रदपवर्मेन श्रोर अदप का भतीजा ससन् गोण्डोफारेस प्रथम के साथ मिवकों पर सम्बन्धित
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