राष्ट्र संघ और विश्व शांति | Rastra Sangh Aur Vishva Shanti

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श्री रामनारायण 'यदवेन्दू ' - Shri Ram Narayan 'Yadwendu'

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श्री सम्पूर्णानन्द - Shree Sampurnanada

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका में श्री यादवेन्दु की पुस्तक 'राष्ट्रसंघ झोर विश्व-शान्ति' के लिए बड़े हष॑ के साथ प्राक्थन लिख रहा हूँ । यद्यपि राष्ट्रसंघ को स्थापित हुए कहे वष हो गये और अन्तराष्ट्रीय श्रमिक-संघ तथा निःशख्रीकरण- सम्मेलन की कार्यवाही समय-समय पर समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहती है; पर जहाँ तक मैं जानता हूँ, यह हिन्दी मे पहली पुस्तक है, जो इन श्र इनसे सम्बद्ध श्रन्य आवश्यक विषयों का वर्णन करती है । वणुंन भी बहुत विस्तृत है और सुकझे विश्वास है कि पुस्तक का ऐतिहासिक और व्णंनात्मक अंश न केवल साधारण पाठकों वरनू पत्रकारों और राजनीति के विद्यार्थियों के लिए भी उपयोगी प्रतीत होगा 1 किसी विषय की पहली पुस्तक को पूर्ण और उपादेय बनाना लेखक के लिए तारीफ़ की बात है । श्री यादवेन्दु ने जो अवतरण दिये हैं और घटनाओं का जिस प्रकार पारस्परिक सम्बन्ध दिखलाया है ; उसीसे उनके अध्ययन का विस्तार प्रकट होता है । पुस्तक का दूसरा भाग जिसमें विश्व-शान्ति के प्रश्न पर विचार किया गया है, इससे भी अधिक महत्व रखता है। यों तो प्रथम भाग में ही लेखक ने राष्ट्र-संघ की कार्यशैली की जो झालोचना की है, उससे यह प्रकट हो जाता है कि वह उसके संगठन और उसकी पद्धति से सन्तुष्ट नहीं हैं।.. उन्होंने यह बहुत अच्छी तरह दिखला दिया है कि इस समय राष्ट्रसंघ विजयी महाशक्तियों का गुट है श्रौर सुख्यतः उनकी ही स्वाथ-सिद्धि का उपकरण है । महायुद्ध के बाद बर्सेल्स की सन्धघि जमंबी के सिर पर जबरदस्ती लादकर उसे शताब्दियों तक के लिए दीन और दुबंल




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