लक्ष्मीनारायण लाल और उनके नाटक | Lakshminarayan Lal Aur Unke Natak
श्रेणी : नाटक/ Drama, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लक्ष्मीनारायण छाल और उनके नाटक 6
(विराम) 2५ है; 5 या कम
। “व्यक्तिगत, प.ष्ठ-34
यहां का क्षणिक विराम रयै के बेईमान होते को गहराता है। स्पष्ट है
कि नाटककार मौन प्रयोग के प्रति. कुछ ज्यादा ही सचेत है । लेकिन, यहं
मौन प्रयोग सर्वत्र सफल नहीं है । कई जगह अधिक प्रमाकःनहीं डाल पाता ।
थोड़ा सा अन्तर मात्र. ही नाट्य सम्प्रेषण में आ पाता है ।
लाल, नाट्यभाषा के प्रति सजग हैं । रंगमंच में शब्द -की “भूमिका को
. भी पहचानते हैं । इसलिए उन्होंने नाटकीय शब्दो एवं हरकत कौ माषा का
प्रयोग किया है । यह भाषा नाट्य-सम्प्रेषण में सहायक होती है। बेतरतीब
संबादों की योजना--व्यक्तिगत, अब्दुल्ला दीवाना, करफ्यू, मिस्टर अभिमन्यु,
सूर्यमुख, आदि नाटकों में मिलती है । इस प्रकार के प्रयोग में उनका नाट्य
कौशल उमरा है | विरोधी स्थितियों, मतोदशाओं को बेतरतीव संवाद द्वारा
उप्तमें अन्तनिहित भाव को गहराया আলা, है। छाल ने, सहन शब्दों के
प्रयोग द्वारा सम्प्रेषणीयता को छाते का प्रयास किया है। लेकिन रातरानी के
कुंतल, निरंजन, जयदेव आदि सारे पात्र आरम्भ से लेकर एकसी माषा का
व्यवहार करते हैं। यह स्वाभाविक नहीं लूगता। इस नाटक की भाषा
पात्रों की भाषा न लग कर ओढी हुई या आरोपित सी लगती है।
, छाल ने अपने -ताठकों में कथ्य के अनुरूप भाषा 'का :प्रयोग करते की
पूरी कोशिश-की है। हरकत-की भाषा का प्रयोग शब्दों की रंग सार्थकता के
सन्मे में-करते हैं जिससे रंगप्रेषण और भी:सशक्त हो जाता है । बिम्बों एवं
प्रतीकों द्वारा भाषा में चित्रात्ममता भी लाने की: चेष्टा छाल के नाटकों में
'क्िखाई-देती-है । सुर्ममुख में बिम्बों द्वारा परिवेश को उजागर किया ই ।
इसमें प्रयुक्त कुछ उदाहरण इसप्रकार है, मेड़ियों का जंगल; मलुष्यों को
पशु कहना आदि भेद्रारिका तथा वहां के लोगों -की स्थिति एवं मनोवृत्ति
का परिचय मिलता है ।:रक््तकपमल में कमल -की कविता यें बिम्बो द्वारा
परमाव उमया है । अंधाकभांमे भगौती की क्रूरता कौ कंसा का सुंटा'
'खुंठे में बांध कर मार रहे हो आई दःशब्द बिम्बात्मकता: की सजना करते है
इसी प्रकार प्रतीकों में भी । ८ ~ :
अब्दुल्ला दीवाना में अब्दुल्ला आत्मा का प्रतीक है । जब-जँब मनुष्य
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