पुराणसार - संग्रह | Puransaar Sangrah

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Puransaar Sangrah by दामनन्दि -Daamnandi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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সহ্তানলা ११ आरप्रतिके अशुद्ध होनेके कारण इसपरसे की गई प्रेसकापी भी बहुत अशुद्ध तैयार हुई है। हमें उसके संशोधनके लिए और किसी प्रतिका सद्दारा नहीं मिल सका। अ्रतः उसका संशोधन प्रसंगानुसार महापुराणके आधारसे करना पड़ा है। अभार-प्रदर्शन मिलान करनेके लिए. अन्य प्रतिको सहायता न मिलनेपर भी यदि मुझे इस यन्थके संशोधन और अनुवाद करनेमें श्रीमान्‌ पं० फूलचन्द्रजी सिद्धान्तशासत्री, बनारसकी सद्दायता न मिलती तो इसके प्रकाशनके दिन अभी दूर थे। मैं पण्डितजीका एतदर्थ बड़ा आमारी हूँ। ओऔ्री० पं० महादेवजी चतुव दीने भी इस अन्थके तैयार करनेमे यथाशक्य सदायता की दे एतदयं मै उनका भी श्रनुगृदीत हू । नालन्दा पाली प्रतिष्ठान नालन्दा | --गुलाबचन्द्र चौधरी २० अक्टूबर ५४




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