पञ्चपरमेष्ठीपूजा | Panchparmeshthipooja
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
127
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ पद्चपरमेष्ठिपूजा
योऽदः स्त॒तिं चरिकसीति चरीकसीति ।
पापानि संसतिजटं स तरीतरीनि। ५३॥
इति परिता मण्डरषःये पृष्पाजयि क्षिपेत् ।
स्वसवेदनपीयुषमयृखस्पषटसंमव् ॥
भुजानान्परमानंदमाम्हये पच सदगुरून् ॥
ॐ हूं पचपरमेष्टिनोऽतागच्छतागच्छत
सेवौपट् आब्हानं ॥१॥
(५. ^ (~ री পপি ६.१ नि সঃ ^
निर्विकलयं निराबाधं सहलानदनिभैरं ॥
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হু লিষ্'ন শি লান্বাণ্হান্য गुरून ॥
৩ हीं पंचपरमेप्रिना$न्न तिछ्ठत तिष्ठत
5: 5: प्रतिष्टापन ॥२॥
यत्सनिधानमात्रेण पापधारी पलायते ॥
गुणाः सामीप्यमायांति तान्गरून्सब्रिद्महे
ॐ हं पचपरमेषिनोऽत्र मम संनिहिता भवत भवत
वषट् स्वाहा सन्निघापनम ॥ ३ ॥
॥ अधाप्रकम |
मंजुवारिजर्किजल्ूपुंजपिंजरितिजलैः ॥
का वः द पृ ध्या य्
यजामि जिनसिद्धशमर पध्यायसब्तीन ॥
5* हीं पंचपरमेष्रिभ्यो जल निवेषामीति स्वाहा ॥१॥
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