श्री धर्मचंद सरावगी प्राकृतिक चिकित्सा प्रेमी | Shree Dharmchand Saravagi Prakratik Chikitsa Premi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
517
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तीसरे दुर्गादत्तजी--उनके दो पुत्र--महाबीरजी और मानिकचन्दजी रांची में
ही बहुत बड़ा व्यापार करते हँ! चौथे पुत्र रिखबचन्दजी, इनके पांच पुत्र ह
विजयकुमारजी, सज्जनकुमारजी, प्रकाशचन्दजी, रामभवतारजीौ ओर सतोषकूमार
जी रांची मे व्यापार करते है ।
गोवद्ध नदासजी--ये जोखी रामजी के सबसे छोटे पुत्र थे पर उन्होंने अधिक
आयु नही पाई, केवल ३८ वर्ष की आयु में ही स्वर्ग सिधारे। उन्हें एक लड़की
थी भौर तीन लड़के । बड़े लड़के मदनलालजी छोटी उम्र में ही गुजर गए। उनके
तीन लडके हुए--प्रेमचन्दजी, सत्यना रायणजी और ताराचन्दजी जो रायपुर में
काफी बडा व्यापार करते हं । दूसरे नेमिचन्दजो ५० वष की आयु पाई, उन्हें कोई
लडका नहीं हुआ । तीसरे मोतीलालजी आजकल कोडरमा मे रहते है । उनके
तीन पुत्र हे--अझ्ोक कुमा रजी, पवनकुमारजी और विमरूकुमारजो। ये कोडरमा
मे ही व्यापार करते है। (1
जीवनवत्त / ११
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