श्री धर्मचंद सरावगी प्राकृतिक चिकित्सा प्रेमी | Shree Dharmchand Saravagi Prakratik Chikitsa Premi

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Shree Dharmchand Saravagi Prakratik Chikitsa Premi by दीपचन्द नाहटा - Deepchand Nahata

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तीसरे दुर्गादत्तजी--उनके दो पुत्र--महाबीरजी और मानिकचन्दजी रांची में ही बहुत बड़ा व्यापार करते हँ! चौथे पुत्र रिखबचन्दजी, इनके पांच पुत्र ह विजयकुमारजी, सज्जनकुमारजी, प्रकाशचन्दजी, रामभवतारजीौ ओर सतोषकूमार जी रांची मे व्यापार करते है । गोवद्ध नदासजी--ये जोखी रामजी के सबसे छोटे पुत्र थे पर उन्होंने अधिक आयु नही पाई, केवल ३८ वर्ष की आयु में ही स्वर्ग सिधारे। उन्हें एक लड़की थी भौर तीन लड़के । बड़े लड़के मदनलालजी छोटी उम्र में ही गुजर गए। उनके तीन लडके हुए--प्रेमचन्दजी, सत्यना रायणजी और ताराचन्दजी जो रायपुर में काफी बडा व्यापार करते हं । दूसरे नेमिचन्दजो ५० वष की आयु पाई, उन्हें कोई लडका नहीं हुआ । तीसरे मोतीलालजी आजकल कोडरमा मे रहते है । उनके तीन पुत्र हे--अझ्ोक कुमा रजी, पवनकुमारजी और विमरूकुमारजो। ये कोडरमा मे ही व्यापार करते है। (1 जीवनवत्त / ११




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