साहित्य शास्त्र परिचय | Sahitya Shastra Parichay

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Sahitya Shastra Parichay by श्यामलाकांत वर्मा - Shyamlakant Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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द्ध साहित्य-क्षास्तर परिचय ३. कहपना तक्रं । ४, अभिव्यक्ति या शेली तत्त्व इन्हीं चारों तत्त्वों को दो पक्षों में विभवत कर दिया गया ई । प्रथम तीन की स्थिति भाव पक्ष के अदर ही मान्य है। भतिम को कला पक्ष के रूप सें मान्यता प्राप्त है। अनुभूति और अभिव्यक्ति दोनों ही पक्षों को ओचित्य और लालित्य से प्रभावी और रमणीय बनाने वाली यह कला (साहिंए्व) लोक-मंगल का विधान करती हुई मनुष्य की सौन्दये-चेतना को विकसित करती है तथा उसे लोकोत्तर आनन्द प्रदान करती है । मनुष्य की विचारधारा का परिष्कार कर वहू .रसे (सामाजिक ' भौर 'सहुदय' की श्रेणी में ला देती है । साहित्य का रस-तत्त्व हमारे मन में ध्ात्विकता का समावेश कर हमें आनम्दमग्त कर देता है )




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