दयानन्दभतविद्रावण | Dayanandbhatvidravan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
90
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शूद्रवेदाघिकार मकरण । ९३
জিউস ৮০০৯৪১৪ ल्सस+ 3.
वर्ष की उप्र होगी वर २ जकाज होगा पानी वास चरसेगा
अज्न कम पेंदूए होगा वणसंफर ज्यादा होंगे-शूद्र ब्राह्मण को
उपदेश करेंगे पाखण्ड और विवाद से सद्ग्रन्थ लुप्त होंगे
पतित्नता भुषण होन होंगो विधवाशों कै नये शृङ्गार होगे
इत्यादि २ आज आंखसे देख रहे हें जिन समहाशयने साकार
জা नियकार में साकार के उपासक होके भी कोई भेद লব
साना जिन सहाशय ने दुष्टों तकं कौ बंद्ना करै अपनो स
ক্যলা वतलाई है जिन महाशय के लेख की एक २ चौपादईे
पढ़कर सन प्रसन्न हो जाता है जिस सहात्मा ने यथार्थ प-
सिब्रतघमे इत्यादि घतलाकर ससार का धर्म रक्खा, क्या उस
को अप्रभाण सान के आप के इस भाषा स० प्र० को जिस के
पढ़ने से सन्त को एक प्रकार की ग्लानि उत्पन्न होती है,
शौर जिसमें आदिसे जन््त तक सिध्या व 'वनावट ঘট আলে
चढ़ है और जिस में संसार को नास्तिक बनाने के सिवाय
आर कोई लेख भी नहीं है प्रसाण सानें ? इतने पर अनर
भाप कहें कि भाषा को पुस्तक में वनावट है तो हम पूंछते
हैं कि कहां २ बनावट है वह वतलाइये ? रीर उसे को सिद्ठ
कीजिये और हस शाप के स० अ० की बनावट बतलाते है
यह देख कर ,मिलान कर लोजिये देखिये स० म० ए० ११८०में
एक संत्र लिखकर स्त्री को ११ पुरूष तके नियोग कराने की
अगला दी हि यद बनावट है, पृष्ठ ८७ में शंकराचाये को
जैनियों ने विषयुक्त वस्तु खिलाई यह वनावट है, पृष्ठ ३९९
सें सोमनायकें ऊपर नीचे चुम्बक पत्थर लगा र्खे है ये वना-
वट है पृष्ठ ३३३ में भागवतके नात से हिरययाज्त और मह_ '
लाद की कथः से बनावट है पृष्ट ३३५ में बोपदेव को जयदेव
का भाई कहना बनावट है भक्तमगल. के नास से किसी चि
डियके बीटकी कथा लिखना वनावट है, इत्यादि सर्वेथा ही
এ जैसी
आप की पुस्तक बनावट है, अब कहिये रामायरो जैसी सत्य
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