कुंद माला | Kundmala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
582 MB
कुल पष्ठ :
160
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १३ )
হা, हमारे स्मृति ग्रन्थों में सन््तान तथा सहधमीचरण-ये दो
दिवाह के फल प्रतिपादन किये गये हं । यज्ञ करने का अधिकार
भी पति को पत्नी के साथी है प्रथक् नदीं । नीचे लिखि पा
में कविने अपने कमेकाण्ड ज्ञान का भी परिचय दिया हे । देखये-
सुत, हुत,-ये दो फल पत्नी के बतलाति है पर्डित ।
पहला तुम से मिला, दुसरा भी देकर गृह मण्डित ॥
ङुन्द् ० च्रङ्क ६ ।
दैव-योग से हुवे, आपके, शुभ-दशन से प्यारी--
शुद्ध प्रकाशित हुई, यज्ञ मै बनी पुनः अधिकारी ॥
कुन्द ° श्रद्ध ६।
घ. कवि को प्रणव ओझार का मी ज्ञान दै--
मैं ही हैं, ओड्आार सहचरी-कहते हैं सब मुनिजन ।
मुझ से ही उत्पन्न हुवा है सकल चरचर त्रिभुवन ॥
कुन्द्० श्रद्ध ६।
ङ. बौद्धघम में वालकपन से ही भिकछ दो जाना षठ
सममा जाता दै, किन्तु हिन्दू-घम में प्रत्येक आश्रम में क्रम
से जाने का गौरव दे। कुन्दमाला का स्वयिता मी आश्रम
र का पक्षपाती प्रतीत द्वाता टै, मिछु-घम का नहीं।
হা अन्न,
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