सराय | Saray
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
74 MB
कुल पष्ठ :
300
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)2 प
समझता था, वही मिली | वह बाहरी शिष्टाचार मे निप ভী বহু ই |
श्रव अपने श्रागे किसी के श्रपरिचित सावित नहीं करेंगी | यही उसकी
सीख है | उसकी अन्य किसी चाहना पर विचार नहीं किया जा
सकता है। वह स्वयं कुछ उत्तर नहीं देगी | बचपन में उसे सभा-समाज़
की ओर से निरुत्साहित किया गया हगा। पिता के घर पैदा हे।ते ही
उस कासा गया कि लड़की हुई है। स्कूल कालेज में दुलहिन-सी बना
कर, परदेवाली गाड़ी तथा मेर मे निकलने की व्यवस्था समाज
ठकदारों ने की | उसे किसी से बातें कर लेने का अधिकार नहीं मिला।
` ` उक्ल खाया गया हयिगा कि वह नारी है | उसे पुरुष से डरना चाहिए
उसके समीप न আনা ही हितकर दै ! संस्कारो से उसने यही सवर पाया.।
. বন उसके दिल में बाव उठी देगी कि यह सब क्या है ? जहाँ देखने की . भ
मनाही होती है, वहाँ सब भांक कर देखना चाहते हैं। इसके लिए. ` |
आड़ मिलनी आवश्यक है। कर
: बडी हँसी आती है। प्रकृति.ने इनकी रचना ऐसी की है कि पुरुष उनसे. |
ठीक तरह खेल लेता है | इस खिलवाड़ के लिए. मां बचपन से ही...
अपनी लड़की के| सुघड़ बनाकर पूरी शिक्षा देती है। ओर मायके से
ससुरालवाली मंजिल कौ दूरी में भावुकता का तीत्र प्रवाह तो होता
ही हे)
“मैं अधिक बातें नहीं सुनना चाहता हूँ! यह ते बता कि वह
तुभे कैती लगी ?
अपनी राय क्या द॑ ? कारण में उसका पुरुष नहीं टरं} न युके
नायक बनने की चाहना ही है | वह तुम्हारी नारी है । फिर स्वाभाविक
ছুই
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