यश की धरोहर | Yash Ki Dharohar

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बनारसी दास चतुर्वेदी - Banarasi Das Chaturvedi

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भगवान दास - Bhagwan Das

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शिव वर्मा - Shiv Varma

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सदाशिव राव - Sadashiv Rav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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८ जाने के लिए उतनादही जिम्मेदार थाः जितना स्काँट, श्रौर्‌ जिसने स्वयं भी लाला जी पर मारात्मक प्रहार किए थे । साण्डसं का वह्‌ मुंशी चननसिह मी इनकी ओर पकड़ने को ५ लपका तो श्राजाद ने पहले एक गोली उसके पैर में मारी; | मगर जब वह पर भटक कर फिर भी आगे बढ़ा, तो फिर आज़ाद के माउज़र की गोली उसके सीने से पार हो गई । आज़ाद, भगतसिह, राजगुरु तीनों घटनास्थल से साफ निकल आए राजगुरु के शौक़ शहादत और भगतसिह के प्रति उनकी प्रतिदवन्द्रितः का एक और प्रबल उद्रक तब हुआ जब भगत- পিছ ने दिल्‍ली की असेम्बली में बम फेंकने का प्रस्ताव रखा । निश्चय यह हु्रा कि असेम्बली में बम फेंका जाय, वहाँ अपने कार्य का स्पष्टीकरण करते हुए पर्चे भी फेंके जाँय, वहाँ से भागा न जाय और अदालत में केस चलने पर एक बढ़िया सा बयान दिया जाय तथा मुकहमे को प्रचार और स्पष्टीकरण द का साधन वनाया जाय । भगतसिह ने हौ यह प्रस्ताव रक्खा . और यह ह॒ठ भी की कि उसे वे ही पूरा करेंगे । राजगुरु इस .. काम के लिए स्पष्ट ही उपयुक्त न थे। अपने साथ चलने क लिए भगतसिह ने बहुकेश्वरदत्त को चुना । राजगुरु को जब .. यह मालूम हुआ तो मानो उनके सारे बदन में आग लग गई । उन-दिनों आज़ाद भाँसी चले आए थे । भगतसिह बटुकेश्व र- .. दत्त आदि दो-चार साथी ही दिल्‍ली में रह गए थे । राजगुरु . आज़ाद के पास आए और हर तरह से उन्होंने आज़ाद को यह हक समझाने की कोशिश की कि वे भग तसिह के साथ जाने के. ॥ ডিও




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