हम्मीर महाकाव्य का समालोचनात्मक अध्ययन | Hammir Mahakavya Ka Samalochnatmak Adhyyan

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Hammir Mahakavya Ka Samalochnatmak Adhyyan by भूपेन्द्रमणि पाण्डेय - Bhupendramani Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1... क्वैतस्य राज्ञः सुमहच्वरित्रं क्वैषा पुनर्म धिषणाऽणुरूपा | ततोऽतिमोहाहुजयैकयैव मूग्धस्तितीर्षामि महासमुदरम्‌ || ह0 म0 1८11 2. क्व सूर्य प्रभवो वंशः क्व चाऽत्प-विषया मतिः मोहाद्डुपेनास्मिसागरम्‌ | रघुवंश म0 हम्मीर चाहमान-वंश का शिरोमणि वीर नर था, इसलिये कवि ने प्रारम्भ मे उस वंश के पूर्व पुरुषों का ऐतिहासिक वर्णन करना महत्त्वपूर्ण समझा है। यह वर्णन उक्त पृथ्वीराज-विजिय काव्य मे वर्णित शैली का है। इसमें उसी ढ़ंग से वंश के मूलपुरुष चाहमान की उत्पत्ति बतायी गयी है। उसके बाद उत्पन्न होने वाले वासुदेव, नरदेव, चन्द्रराज, सिंहराज, वप्पराज, विग्रहराज, वल्लभराज, दुर्लभराज, विशालदेव, आनलदेव ओर सोमेश्वरदेव तक के कोई 29-30 राजाओं के नाम गिनाये गये है ओर उनके द्वारा समय-समय पर किये गये म्लेच्छो कं आक्रमणं का प्रतिरोध आदि कार्यो के संक्षिप्त वर्णन हँ । पृथ्वीराज-विजय काव्य की तरह दही इन वर्णनं म भी मुख्यतः म्लेच्छं द्वारा किये गये उपद्रवों और विप्लवों का सामना करते हुये अपने राष्ट्र और धर्म की रक्षा के निमित्त चाहमान वंशीय वीरों ने जो बड़ा शौर्य कर्म किया, उसी का चित्रण अंकित है। इसी वर्णन मे प्रसंगानुसार चाहमानों क॑ मूल निवास-स्थान शाकंभरी, सपादलक्ष देश ओर अजय-मेरु-नगर आदि की स्थापना-सम्बन्धी बातों का उल्लेख किया गया है। पृथ्वीराज विजय की अपेक्षा इसमे वंश के पूर्व पुरुषों की नामावलि में कृष न्यूनाधिकता भी है। कछ एसे भी म्लेच्छ आक्रान्ताओंःके नाम आदि दिये गये है. जौ पृथ्वीराज-विजय मेँ नहीं मिलते हे [उदाहरणार्थ वप्रराज के पुत्र हरिराज ने किसी शकाधिप को जीतकर उसका मुग्धपुर छीन लिया था। हरिराज कं पुत्र सिंहराज ने हेतिम नामक शकपति को मारा ओर उसके चार मस्त ही -युद्ध मे पकड़ लिये, चामुण्ड राज ने हेजिमदीन नामक किसी मुसलमान आक्रान्ता का वध किया। दुर्लभराज ने ` सहाबहीन नामक किसी शासक को पराजित किया इत्यादि एेसे उल्लेख मिलते है. जो ` पृथ्वीराज-विजय मे नहींहे। ' अजमेर के अन्तिम सम्राट पृथ्वीराज का वर्णन इसमे बहुत विस्तृत है। लगभग ` 100 पद्यं मे पृथ्वीराज के चरित्र का वर्णन किया हे। ये 100 पद्य एक प्रकार से




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